हेमंत सोरेन ने साधा केंद्र सरकार पर निशाना, कहा-गरीबों को कुछ देना पसंद नहीं, अब हम दे रहे हैं तो तकलीफ हो रही है
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खूंटी जिले के तोरपा में "आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार" कार्यक्रम के दौरान केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब कभी गरीबों के लिए कुछ किया जाता है, तो उन्हें तकलीफ होती है। सोरेन ने कहा, "बीजेपी कहती है कि हमने मंईयां सम्मान योजना वोट के लिए शुरू की है। तुमने गरीबों को कभी कुछ दिया नहीं, अब हम दे रहे हैं तो परेशानी हो रही है।" उन्होंने वादा किया कि अगले पांच सालों में राज्य के लोगों को इतना सक्षम बना देंगे कि उन्हें किसी से उधार लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
मुख्यमंत्री ने केंद्र से झारखंड का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये का बकाया लौटाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र यह राशि नहीं लौटाता, तो उसके ब्याज की मांग करेंगे ताकि मंईयां सम्मान योजना की राशि को 2 हजार रुपये तक बढ़ाया जा सके। हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाया कि वे भगवान बिरसा मुंडा के जन्मस्थल उलीहातू जाकर आदिवासी समुदाय के मुद्दों पर दिखावा करते हैं, लेकिन असल में सरना धर्म कोड जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। सोरेन ने कहा, "प्रधानमंत्री आदिवासी दिवस पर शुभकामनाएं तक नहीं देते हैं।"
मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार की कोरोना प्रबंधन की सराहना करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने लॉकडाउन के दौरान भी राज्य में अफरा-तफरी का माहौल नहीं बनने दिया। उन्होंने कहा कि जब पूरा देश बंद था, तब भी उन्होंने झारखंड के लोगों को सुरक्षित वापस लाने के लिए हवाई जहाज का इंतजाम किया।
मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वे उनके विकास कार्यों से जलते हैं और झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश करते हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष झारखंड की जनता को उनके हक और अधिकारों से वंचित रखने के लिए अदालतों में मामले खींचता रहा है।
हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्हें सत्ता से हटाने के लिए कई मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और गृहमंत्री एकजुट हो गए हैं। उन्होंने जनता से अपील की कि वे मजबूत रहें और किसी के सामने न झुकें। उन्होंने कहा, "हम बिरसा मुंडा के पदचिन्हों पर चलने वाले हैं और कभी डरेंगे नहीं।"
धनबल से राज्य को बांटना चाहते हैं व्यापारी
मुख्यमंत्री ने व्यापारियों पर आरोप लगाया कि वे धनबल के जरिए राज्य को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "ये लोग सोचते हैं कि जैसे सब्जी-भाजी खरीदी जाती है, वैसे ही लोगों को भी खरीद लेंगे। लेकिन झारखंड के लोग स्वाभिमानी हैं और बिकने वाले नहीं हैं।"