झारखंड चुनाव 2024: झामुमो को बहुमत, भाजपा ने किया संघर्ष, कांग्रेस और अन्य दलों का मिला-जुला प्रदर्शन
Updated: Nov 23, 2024, 21:35 IST
झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे आ चुके हैं, जिनमें झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने बड़ी जीत दर्ज की है। हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली पार्टी को 34 सीटों पर जीत मिली है, जो बहुमत का आंकड़ा पार कर चुकी है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 21 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
किस सीट से कौन से प्रत्याशी को मिली जीत
झामुमो ने किया बहुमत हासिल
हेमंत सोरेन की झामुमो ने इस चुनाव में अपना प्रभाव बनाए रखा और 34 सीटें जीतकर बहुमत प्राप्त कर लिया। पार्टी के इस प्रदर्शन ने साबित कर दिया कि राज्य की जनता ने विकास और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर उनका साथ दिया।
भाजपा को झटका
भारतीय जनता पार्टी, जो पिछली बार मजबूत स्थिति में थी, इस बार 21 सीटों तक ही सिमट गई। बाबूलाल मरांडी जैसे दिग्गज नेता भी पार्टी के लिए उम्मीद से बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सके। भाजपा ने हालांकि मजबूत विपक्ष बनने का दावा किया है।
कांग्रेस का प्रदर्शन संतोषजनक
कांग्रेस को इस चुनाव में 16 सीटों पर जीत मिली। यह प्रदर्शन पार्टी के लिए राहत की बात है, क्योंकि उसने झामुमो के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था। पार्टी नेताओं का मानना है कि वे राज्य की राजनीति में अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने में सफल रहे हैं।
अन्य दलों का प्रदर्शन
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने 4 सीटें जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। वहीं, भाकपा माले ने 2 सीटें हासिल कीं। आजसू पार्टी, जेएलकेएम (झारखंड लेबर किसान मोर्चा), और लोजपा-जेडीयू गठबंधन ने 1-1 सीट जीतकर चुनाव में अपनी पहचान बनाई।
इन नतीजों ने झारखंड की राजनीति में झामुमो की स्थिति को और मजबूत किया है। हेमंत सोरेन की नीतियों और नेतृत्व को जनता ने समर्थन दिया है। भाजपा को जनता के बीच अपनी पकड़ कमजोर होती नजर आई। कांग्रेस और अन्य छोटे दलों ने भी संतोषजनक प्रदर्शन किया।
हेमंत सोरेन का बयान
चुनाव नतीजों के बाद हेमंत सोरेन ने जनता का धन्यवाद करते हुए कहा, "यह जीत झारखंड के लोगों की जीत है। हमने हमेशा विकास और सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी है, और आने वाले समय में इसे और मजबूती से लागू करेंगे।"
अब झामुमो और उसके सहयोगी दलों के सामने राज्य में स्थिर सरकार चलाने और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती होगी। भाजपा को अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा, जबकि कांग्रेस और अन्य दलों को अपनी प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए मेहनत करनी होगी।