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नक्सलवाद से निपटने के लिये झारखंड पुलिस की नई रणनीति तैयार, हफ्ते 16 जिलों के SP संग DGP करेंगे बैठक

झारखंड में नक्सलवाद पर लगाम लगाने के लिए राज्य पुलिस ने एक नई रणनीति लागू की है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता ने इस अभियान को तेज़ और प्रभावी बनाने के लिए हर मंगलवार को नक्सल प्रभावित 16 जिलों के पुलिस अधीक्षकों (एसपी) के साथ बैठक करने का फैसला लिया है। इन बैठकों में नक्सलवाद विरोधी अभियानों की समीक्षा और नई रणनीतियों पर चर्चा होगी। इस साप्ताहिक बैठक में रांची, धनबाद, चाईबासा, सरायकेला, खूंटी, गुमला, लातेहार, गढ़वा, पलामू, बोकारो, चतरा, हजारीबाग, रामगढ़, गिरिडीह, सिमडेगा और लोहरदगा जिलों के पुलिस अधीक्षक भाग लेंगे।

बैठकों में निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा होगी:

मौजूदा स्थिति: नक्सलवाद की वर्तमान स्थिति का विश्लेषण।

कार्रवाई का मूल्यांकन: माओवादियों पर किए गए अभियानों और उनके परिणामों की समीक्षा।

नक्सलियों का प्रोफाइल: माओवादियों और उनके नेटवर्क से जुड़ी जानकारी इकट्ठा करना।

आत्मसमर्पण की प्रक्रिया: आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को दी जा रही सुविधाओं की समीक्षा।

इनाम और संपत्ति जब्ती: फरार नक्सलियों पर घोषित इनाम और उनकी संपत्ति जब्त करने की स्थिति पर चर्चा।

सुरक्षा और निगरानी: आत्मसमर्पण कर चुके और जमानत पर रिहा नक्सलियों पर नज़र रखना।

मुकदमे और अनुसंधान: अदालत में चल रहे मामलों और जांच की प्रगति पर चर्चा।

संचार व्यवस्था: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में संचार सेवाओं की स्थिति का आकलन।

नक्सलवाद का मौजूदा परिदृश्य
केंद्रीय गृह मंत्रालय के अनुसार, झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, गिरिडीह, गुमला, लातेहार और लोहरदगा जिले अभी भी नक्सलवाद से प्रभावित हैं। इनमें पश्चिमी सिंहभूम सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र है। राज्य सरकार लगातार इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठा रही है। पिछले सात वर्षों में नक्सलवाद के खिलाफ हुए अभियानों में झारखंड पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। मुठभेड़ों में 109 बड़े माओवादी मारे गए, जबकि इस दौरान 41 जवान भी शहीद हुए। कोल्हान क्षेत्र, जो कभी माओवादियों का गढ़ था, अब लगभग माओवादी गतिविधियों से मुक्त हो चुका है।