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झारखंड की अर्थव्यवस्था ने पकड़ी रफ्तार, आर्थिक सर्वेक्षण में दिखे सकारात्मक संकेत

झारखंड विधानसभा में आज पेश की गई आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में राज्य की आर्थिक प्रगति को लेकर उत्साहजनक आंकड़े सामने आए हैं। वर्ष 2019-20 में देश की कुल जीडीपी में झारखंड का योगदान 1.59% था, जो 2023-24 में बढ़कर 1.64% तक पहुंच गया है। खासतौर पर द्वितीयक क्षेत्र में सबसे तेज़ वृद्धि देखी गई है, जबकि प्राथमिक क्षेत्र की प्रगति तुलनात्मक रूप से धीमी रही है। राज्य में महंगाई दर बीते वर्ष के दौरान अधिकांश समय 6% की निर्धारित सीमा के भीतर रही, जिससे आर्थिक स्थिरता का संकेत मिलता है।

राजकोषीय मोर्चे पर भी राज्य ने मजबूती दिखाई है। वर्ष 2001-02 में जहां झारखंड का कुल बजट मात्र 6,067 करोड़ रुपये था, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 1,07,921 करोड़ रुपये को पार कर गया। आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 में इसे 1,28,900 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। बीते पांच वर्षों में राज्य की राजस्व प्राप्तियां औसतन 9.4% सालाना बढ़ी हैं, जबकि राज्य के खुद के कर राजस्व में 13.7% की वृद्धि दर्ज हुई है। खर्च के मामले में भी राज्य ने प्रगति की है, जहां कुल व्यय में सालाना 10.4% की वृद्धि हुई है और पूंजीगत व्यय तथा योजनागत व्यय का अनुपात बेहतर हुआ है।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड आमतौर पर राजस्व अधिशेष वाले राज्यों में शामिल रहा है, जिससे यह साफ होता है कि राज्य की कमाई उसके खर्च से अधिक रही है। वहीं, राजकोषीय घाटा भी वित्तीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) की तय सीमाओं के अंदर बना रहा, जो राज्य के वित्तीय अनुशासन को दर्शाता है। संपूर्ण रिपोर्ट इस ओर इशारा करती है कि झारखंड की अर्थव्यवस्था निरंतर आगे बढ़ रही है और वित्तीय प्रबंधन में भी सुधार हो रहा है, जो राज्य के समग्र विकास के लिए सकारात्मक संकेत हैं।