गो संरक्षण पर राष्ट्रीय विमर्श: झारखंड में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन, पारिस्थितिकी से आत्मनिर्भरता तक होगी चर्चा
Jun 16, 2025, 20:30 IST

झारखंड गौ सेवा आयोग की ओर से आज रांची प्रेस क्लब में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में आगामी 19 और 20 जून को आयोजित होने जा रही दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला की जानकारी दी गई। प्रेस वार्ता में आयोग के अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद, उपाध्यक्ष राजू गिरी, सचिव डॉ. संजय प्रसाद, निबंधक डॉ. मुकेश मिश्रा एवं पशु चिकित्सक डॉ. प्रभात पांडे उपस्थित थे।
राजीव रंजन प्रसाद ने जानकारी दी कि इस कार्यशाला का विषय है – "पारिस्थितिकी संतुलन एवं आधुनिकता के परिप्रेक्ष्य में गो सेवा के क्षेत्र में उभरती चुनौतियां एवं संभावनाएं"। इस आयोजन में देश के विभिन्न राज्यों से विशेषज्ञ, शोधकर्ता और उद्यमी हिस्सा लेंगे। इसका उद्देश्य झारखंड में गो संरक्षण को लेकर एक ठोस और व्यावहारिक नीति की रूपरेखा तैयार करना है।
उन्होंने कहा कि गाय केवल एक पालतू पशु नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में ‘गौ माता’ के रूप में पूजनीय रही है। इसके दूध से पोषण, गोबर से जैविक खाद, मूत्र से औषधि—ये सब हमारी परंपरा और आत्मनिर्भरता का आधार हैं। लेकिन आज शहरीकरण, बदलती जीवनशैली और मिलावटी बाजार के चलते पारंपरिक गो सेवा की भावना कमजोर पड़ती जा रही है।

तीन बड़ी चुनौतियां जो सामने आईं:
1. भूमि व संसाधनों की कमी: शहरों में चराई की भूमि का अभाव।
2. आर्थिक संकट: गौशालाओं के संचालन में धन की कमी।
3. सामाजिक दूरी: नई पीढ़ी में गौ सेवा के प्रति रुचि और जागरूकता की कमी।
इन समस्याओं से निपटने के लिए आयोग ने कार्यशाला के आयोजन का बीड़ा उठाया है, जहां जैविक खेती, पंचगव्य चिकित्सा, गौ आधारित स्टार्टअप और A2 दूध जैसे विषयों पर मंथन किया जाएगा।
कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रमुख वक्ता होंगे:
- डॉ. वल्लभभाई कथीरिया
- डॉ. सत्यप्रकाश वर्मा
- सुनील मानसिंहका
- देवाराम पुरोहित
- मदन कुशवाहा
- सिद्धार्थ जायसवाल
- डॉ. आर.के. पुंडीर
- डॉ. अखिलेश पांडेय
- डॉ. एस.के. मित्तल
- मनोज कुमार
- अजय भरतिया
- सुदर्शन विश्वास
मुख्य अतिथि होंगी कृषि पशुपालन मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, जो 19 जून को सुबह 11 बजे कार्यशाला का उद्घाटन करेंगी। उनके साथ विभागीय सचिव अबु बकर सिद्दिकी और निदेशक किरण पासी भी उपस्थित रहेंगे।
कार्यशाला के चार तकनीकी सत्र होंगे:
1. पारिस्थितिक संतुलन और गोसेवा में आधुनिक चुनौतियां
2. गो आधारित उद्यमिता विकास
3. पंचगव्य चिकित्सा की संभावनाएं
4. नस्ल संरक्षण एवं A2 दूध का वैज्ञानिक महत्व व गो सुरक्षा कानून
कार्यशाला स्थल पर झारखंड की गौशालाओं द्वारा संचालित गतिविधियों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी, जहां गौ आधारित उत्पादों और नवाचारों को दर्शाया जाएगा।
उपाध्यक्ष राजू गिरी ने पूर्व सरकारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गौ संरक्षण के नाम पर केवल राजनीति होती रही, लेकिन वर्तमान सरकार की संवेदनशीलता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की दूरदर्शिता से आयोग को नई पहचान मिली है। अब यह संस्था अनुदान तक सीमित न रहकर राज्य के समग्र विकास में सक्रिय भूमिका निभा रही है।
उन्होंने कहा कि कार्यशाला में आए विचारों से राज्य की गौशालाएं आत्मनिर्भर बनेंगी और झारखंड को "गौ संरक्षक राज्य" के रूप में पहचान मिलेगी। खासकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आयोग द्वारा दिए गए प्रशिक्षण उल्लेखनीय परिणाम दे रहे हैं।
इस दो दिवसीय मंथन से निश्चित रूप से उपयोगी समाधान और नीतिगत मार्गदर्शन निकलने की उम्मीद है, जो झारखंड की पारिस्थितिकी, संस्कृति और स्वास्थ्य को नई दिशा देंगे।