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लातेहार पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, इनामी नक्सली कमांडर मनीष यादव ढेर, कुंदन खेरवार गिरफ्तार

लातेहार ज़िले के महुआडांड़ थाना क्षेत्र अंतर्गत करमखाड़ और दौना के जंगलों में रविवार देर रात से लेकर सोमवार सुबह तक पुलिस और नक्सलियों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई। इस दौरान कुख्यात भाकपा माओवादी कमांडर मनीष यादव को पुलिस ने मार गिराया, जिसकी सिर पर 5 लाख रुपये का इनाम था। वहीं, 10 लाख का इनामी नक्सली कुंदन खेरवार को मौके से गिरफ्तार कर लिया गया।

इलाके में सघन तलाशी अभियान जारी
पलामू डीआईजी वाईएस रमेश ने पुष्टि करते हुए बताया कि मनीष यादव अपने दस्ते के साथ जंगल में सक्रिय था। खुफिया सूचना के आधार पर पुलिस ने घेराबंदी कर कार्रवाई की। नक्सलियों ने पुलिस को देखते ही गोलीबारी शुरू कर दी, जिसके जवाब में पुलिस की टीम ने भी मोर्चा संभाला और मनीष को ढेर कर दिया। घटनास्थल से दो ऑटोमैटिक हथियार भी जब्त किए गए हैं।

लगातार मिल रही सफलता
लातेहार पुलिस को हाल के दिनों में नक्सल मोर्चे पर कई बड़ी कामयाबी मिली है। दो दिन पहले ही ईचाबार जंगल में मुठभेड़ में जेजेएमपी के शीर्ष नक्सली पप्पू लोहरा (10 लाख का इनामी) और प्रभात गंझू (5 लाख का इनामी) मारे गए थे। अब मनीष यादव की ढेर होने और कुंदन खेरवार की गिरफ्तारी से साफ है कि पुलिस ने नक्सल अभियान को तेज कर दिया है।

5 लाख का इनामी मनीष यादव लंबे समय से हिंसक गतिविधियों में शामिल रहा है। छोटू खरवार की मौत के बाद उसने महुआडांड़ क्षेत्र में संगठन की कमान संभाली और लगातार विकास कार्यों को निशाना बनाया।

घटनाओं में रही मुख्य भूमिका

  • 23 मई 2025: पुलिया निर्माण कार्य में लगे मज़दूरों के साथ मारपीट।
  • 30 अप्रैल 2025: महुआडांड़-ओरसापाट क्षेत्र में सड़क निर्माण साइट पर हमला, वाहनों में आगजनी और मुंशी की हत्या।
  • 27 नवंबर 2024: 18 लाख के इनामी छोटू खरवार की हत्या में संलिप्तता।
  • 3 दिसंबर 2011: सांसद इंदर सिंह नामधारी के काफिले पर हमला, 9 लोगों की मौत।
  • 2015: लोहरदगा में ठाकुर परिवार के तीन सदस्यों की जन अदालत लगाकर हत्या।
  • 2019: चंदवा के पास पीसीआर वैन पर हमला, 4 पुलिसकर्मी शहीद।
  • 20 जुलाई 2023: पुलिस मुखबिरी के शक में एक ग्रामीण की पीट-पीटकर हत्या।

50 से अधिक नक्सली वारदातों में नाम
मनीष यादव का नाम झारखंड और बिहार के कई ज़िलों—लातेहार, पलामू, चतरा, गढ़वा, गया और औरंगाबाद—में नक्सली हमलों से जुड़ा रहा है। चर्चित कटिया कांड, जिसमें CRPF जवान के शरीर में बम लगाया गया था और 13 जवान शहीद हुए थे, उसमें भी उसका हाथ था। 2018-19 में गढ़वा के पोलपोल नक्सली हमले में 6 जवानों की शहादत के पीछे भी मनीष का ही नाम आया था।

लगातार की जा रही इन कार्रवाइयों से स्पष्ट है कि पुलिस ने राज्य में नक्सल विरोधी अभियान को और धारदार बना दिया है। मनीष की मौत और कुंदन की गिरफ्तारी से माओवादियों को रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक दोनों ही स्तरों पर बड़ा नुकसान हुआ है।