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जंगल में रोती मिली नवजात, निसंतान महिला ने गोद लेने की बनाई योजना, कुछ देर में नवजात ने तोड़ा दम

गिरिडीह के पिरटांड थाना अंतर्गत बांध गांव के समीप गुरुवार को दिल को झकझोर देने वाली एक घटना सामने आई। एक निर्दयी मां ने अपनी नवजात बच्ची को जंगल में मरने के लिए छोड़ दिया। लेकिन उस मासूम की दर्द भरी चीखें वहां की नीरवता को चीरती हुई एक महिला कुंती देवी तक पहुँचीं, जो पास में ही अपनी बकरी चरा रही थीं।

कुंती देवी ने जब नवजात को जंगल में अकेले तड़पता देखा, तो वह स्तब्ध रह गईं। उन्होंने तुरंत अपनी रिश्तेदार तिलेश्वरी देवी को बुलाया। तिलेश्वरी, जो खुद संतान सुख से वंचित हैं, ने जैसे ही बच्ची को गोद में लिया, उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। मानो उस पल ने उन्हें जीवन का अधूरा सपना दे दिया हो — मां बनने का अहसास।

लेकिन किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। बच्ची के सिर पर चोट का गहरा निशान देख तिलेश्वरी उसे तुरंत इलाज के लिए अस्पताल ले जाने निकलीं, लेकिन रास्ते में ही उस नन्हीं जान ने दम तोड़ दिया। तिलेश्वरी की गोद में जीवन की उम्मीद कुछ ही पलों में एक असहनीय दुख में बदल गई।

गिरिडीह सदर अस्पताल में जब तिलेश्वरी बच्ची को सीने से लगाए बिलख रही थीं, वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम थीं। एक मां की ममता का ऐसा दर्दनाक रूप बहुत कम देखने को मिलता है।

पुलिस को घटना की जानकारी दे दी गई है। नवजात को जंगल में छोड़ने वाली महिला की पहचान करने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। बच्ची के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है, जबकि तिलेश्वरी देवी अब भी अस्पताल परिसर में मौजूद हैं — आंखों में मातृत्व की अधूरी दास्तान और दिल में एक न मिटने वाला जख्म लिए।