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पंचायती राज और शहरी निकायों को झटका, राज्य सरकार ने नहीं दी 5516.90 करोड़ की हिस्सेदारी

राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में पंचायती राज संस्थाओं और शहरी स्थानीय निकायों को राजस्व में से निर्धारित हिस्सेदारी नहीं दी है। पंचम राज्य वित्त आयोग की सिफारिशों के मुताबिक इन संस्थाओं को 5516.90 करोड़ रुपये मिलने थे, लेकिन यह राशि नहीं जारी की गई।

पंचम राज्य वित्त आयोग ने स्पष्ट तौर पर राज्य के कुल राजस्व का पांच प्रतिशत हिस्सा इन संस्थाओं को देने की अनुशंसा की थी। आयोग ने यह भी तय किया था कि इस राशि में से 60 प्रतिशत ग्राम पंचायत, प्रखंड समिति और जिला परिषद जैसे त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं को मिले और बाकी 40 प्रतिशत शहरी निकायों को।

केंद्र सरकार ने राज्य में वित्त आयोग की निष्क्रियता को लेकर पहले ही अनुदान पर रोक लगा दी थी। साथ ही शर्त रखी थी कि जब तक राज्य सरकार आयोग की सिफारिशों पर ‘एक्शन टेकन रिपोर्ट’ (एटीआर) नहीं सौंपेगी, अनुदान जारी नहीं किया जाएगा। इसके बाद राज्य सरकार हरकत में आई और सेवानिवृत्त आईएएस अफसर एपी सिंह को पंचम राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया।

आयोग ने मार्च 2025 में अपनी रिपोर्ट विधानसभा में प्रस्तुत की, जिसमें वर्ष 2024-25 और 2025-26 के लिए इन संस्थाओं को राज्य के टैक्स व नॉन टैक्स राजस्व में से पांच प्रतिशत देने की बात दोहराई गई। अनुमान के अनुसार वर्ष 2024-25 में राज्य का कुल राजस्व 1,10,337.75 करोड़ रुपये था, जिसका पांच प्रतिशत 5516.90 करोड़ रुपये होता है।

फॉर्मूले के अनुसार, पंचायती राज संस्थाओं को 3310.14 करोड़ और शहरी निकायों को 2206.76 करोड़ रुपये मिलना चाहिए था। लेकिन सरकार ने इन संस्थाओं को उनके हिस्से की राशि मुहैया नहीं कराई, जिससे इनके वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा झटका लगा है।