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मधु कोड़ा के चुनावी सपनों पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, दोषसिद्धि पर रोक की याचिका खारिज

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का विधानसभा चुनाव लड़ने का सपना अब धूमिल हो गया है। कोयला घोटाला मामले में तीन साल की सजा भुगत रहे मधु कोड़ा ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की बेंच के सामने मधु कोड़ा ने दोषसिद्धि पर रोक की गुहार लगाई थी। पहले गुरुवार को अदालत ने याचिका की फाइल देर से मिलने का हवाला देते हुए सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टाल दी थी। जिसके बाद आज अदालत ने इस याचिका पर अपना निर्णय सुनाते हुए इसे खारिज कर दिया।

गौरतलब है कि झारखंड के राजहरा उत्तर कोयला ब्लॉक आवंटन में भ्रष्टाचार के मामले में 13 दिसंबर 2017 को मधु कोड़ा को निचली अदालत ने तीन साल की सजा सुनाई थी। इस मामले में उनके साथ पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एके बसु और विजय जोशी को भी दोषी ठहराया गया था। आरोप था कि इन सभी ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हुए कोलकाता की विनी आयरन एंड स्टील इंडस्ट्रीज लिमिटेड को गलत तरीके से कोल ब्लॉक आवंटित किया था।

वहीं यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए इस कोयला घोटाले में वीआईएसयूएल, मधु कोड़ा और एचसी गुप्ता पर भी जुर्माना लगाया गया था। अदालत ने मधु कोड़ा पर 50 लाख रुपये और एचसी गुप्ता पर 25 लाख रुपये का आर्थिक दंड भी लगाया था।

दिल्ली हाईकोर्ट में भी याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट में याचिका से पहले, मधु कोड़ा ने दिल्ली हाई कोर्ट में भी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की अपील की थी। 18 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। सीबीआई ने इस दौरान अदालत से कहा था कि मधु कोड़ा की याचिका विचार योग्य नहीं है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि जब तक उन्हें आरोप से बरी नहीं किया जाता, तब तक उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिल सकता।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की शर्तें
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत, किसी अपराध में दोषी ठहराए गए और दो साल या उससे अधिक की सजा पाए व्यक्ति को तुरंत ही चुनाव लड़ने और सार्वजनिक पदों के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाता है। सजा पूरी करने के बाद भी व्यक्ति को छह साल तक चुनावी प्रक्रिया से दूर रखा जाता है।

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