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सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री इरफान अंसारी की याचिका खारिज की, जानें क्या है मामला

झारखंड के मंत्री इरफान अंसारी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनकी उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने के मामले में दर्ज आपराधिक केस रद्द करने की मांग की थी।

यह मामला न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत हुआ। पीठ ने मंत्री के आचरण पर गहरी नाराजगी जताई और इसे "सिर्फ प्रचार के लिए उठाया गया कदम" करार दिया। अदालत ने कहा कि मंत्री ने कानूनी प्रक्रियाओं की अनदेखी की है। साथ ही पीठ ने यह भी टिप्पणी की कि मंत्री को यदि पीड़िता से मिलना ही था, तो वे अकेले या अधिकतम एक व्यक्ति के साथ जा सकते थे। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह इस याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, जिसे कोर्ट ने मंजूरी दे दी।

क्या है मामला?
मंत्री इरफान अंसारी ने झारखंड हाई कोर्ट के सितंबर 2022 के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने दुमका अदालत के नवंबर 2022 के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें अंसारी पर आईपीसी और पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए थे।

आरोप है कि अक्टूबर 2018 में मंत्री अंसारी और उनके समर्थक अस्पताल में पीड़िता और उसके परिवार से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कथित तौर पर पीड़िता का नाम और तस्वीर सार्वजनिक कर दी, जो मीडिया में भी साझा की गई थी। वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंत्री को फटकार लगाते हुए कहा कि उनका यह कदम गैर-जिम्मेदाराना और कानून के खिलाफ था। अदालत ने साफ कर दिया कि इस तरह की हरकतें केवल प्रचार पाने के लिए नहीं होनी चाहिए।