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साक्ष्यों की कमी के कारण अलकायदा से जुड़े तीन संदिग्ध बरी, नौ साल बाद मिली राहत

प्रतिबंधित आतंकी संगठन अलकायदा से जुड़े होने के आरोप में नौ वर्षों तक जेल में कैद तीन संदिग्धों को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में निर्दोष करार देते हुए रिहा करने का आदेश दिया है। एडीजे-1 विमलेश कुमार सहाय की अदालत ने ओडिशा के कटक निवासी अब्दुल रहमान अली खान उर्फ कटनी, जमशेदपुर धातकीडीह निवासी मोहम्मद सामी उर्फ उज्जर उर्फ हसन और मानगो जाकिरनगर निवासी मौलाना कलीमुद्दीन को बरी कर दिया।

कोर्ट में कटनी और सामी की पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई, जबकि मौलाना कलीमुद्दीन स्वयं अदालत में उपस्थित हुआ। फैसले के बाद मोहम्मद सामी उर्फ उज्जर उर्फ हसन शनिवार को घाघीडीह सेंट्रल जेल से बाहर आएगा। हालांकि, अब्दुल रहमान अली खान उर्फ कटनी को ओडिशा में लंबित मामले के चलते अभी जेल में रहना होगा। वहीं, मौलाना कलीमुद्दीन पहले से ही जमानत पर था।

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की सूचना पर 25 जनवरी 2016 को बिष्टुपुर थाना में तत्कालीन थाना प्रभारी जीतेंद्र कुमार के बयान पर इन संदिग्धों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। इस दौरान नौ वर्षों में तीन बार जांच अधिकारियों को बदला गया, जबकि कटनी के केस में 19 और सामी के केस में 17 लोगों की गवाही हुई थी। अदालत ने पाया कि आरोपों को प्रमाणित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं थे, जिसके चलते तीनों को दोषमुक्त कर दिया गया।