दुनिया में कब और कैसे शुरू हुआ लीप ईयर, हर 4 साल में एक बार 29 फरवरी न आए तो क्या होगा?

आज 29 फरवरी है. लेकिन हर साल तो ये तारीख नहीं आती. अक्सर तो फरवरी 28 दिन का ही महीना होता है ना. फिर बीच-बीच में फरवरी का महीना 29 दिन का कैसे और क्यों हो जाता है? अगर ऐसा न हो तो क्या बिगड़ जाएगा? क्या आपके मन में भी ये सवाल आते हैं? आपका जवाब हां हो या ना, आपको इस बारे में पता जरूर होना चाहिए. क्योंकि कभी भी ये जेनरल नॉलेज का सवाल आपसे पूछ लिया जा सकता है. यहां हम बता रहे हैं कि हर 4 साल में एक बार फरवरी में 29 दिन क्यों होते हैं? ये एक एक्स्ट्रा तारीख क्यों जरूरी है? इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई?
जब भी फरवरी का महीना 29 दिन का होता है, उस साल को Leap Year कहा जाता है. सामान्य तौर पर एक साल में 365 दिन होते हैं. लेकिन लीप ईयर में साल में 366 दिन होते हैं. क्योंकि 29 फरवरी की दिन एक्स्ट्रा होता है.
BHU के फिजिक्स डिपार्टमेंट के HOD डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि हमारे एक साल की सटीक लंबाई 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 45 सेकेंड है। इसका मतलब ये है कि हमारा कैलेंडर जो दिन बताता है, वो उससे एक चौथाई दिन ज्यादा बड़ा होता है। 5 घंटे 48 मिनट को राउंड फिगर में 6 घंटे कर लिया गया है। यही कारण है कि चार साल बाद एक दिन जोड़ दिया जाता है।

यदि लीप ईयर को नजरअंदाज किया गया तो कैलेंडर धीरे-धीरे कई हफ्तों तक बढ़ जाएगा। सदियों से जिस मौसम में हम दीवाली के पटाखे छोड़ रहे हैं वो दीवाली अप्रैल-मई में आएगी। इतना ही नहीं, आज जब हम जून की गर्मी में नंगे पैर सड़कों पर नहीं निकल सकते। 750 साल बाद जून में बिना स्वेटर के नहीं निकल पाएंगे। लू वाली गर्मी का ये मौसम कड़ाके की ठंड में बदल जाएगा। इतना ही नहीं एक समय ये भी आएगा कि जिस जनवरी में देश में कड़ाके की सर्दी पड़ती है उस समय लू चलेगी।
आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशन साइंसेज नैनीताल के खगोल वैज्ञानिक डॉ, शशि भूषण पांडे बताते हैं कि लीप ईयर अंग्रेजी कैलेंडर की देन है। इसमें पृथ्वी सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाती है। इसकी जो वैल्यू होती है वह सवा 365 दिन होती है। भले ही हम भारतीय कैलेंडर की बात करें। देश में कई तरह के कैलेंडर हैं। इसके बाद भी गणना अंग्रेजी कैलेंडर से ही होती है। गणनाएं गड़बड़ न हों, इस कारण से हर चार साल बाद फरवरी में एक दिन बढ़ा दिया जाता है।
यदि लीप ईयर नहीं हो तो सबसे पहले लीप डे पर जन्मे लोगों को हर साल 28 फरवरी या 1 मार्च को अपना जन्मदिन मनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगले 40 साल में दुनिया में ऋतुएं अपने तय समय से 10 दिन दूर हो जाएंगी। एक कैलकुलेशन के अनुसार 700 साल में उत्तरी गोलार्ध में दिसंबर में गर्मी आएगी।
लीप ईयर पहली बार कब आया?
29 फरवरी का इतिहास 45 ईपू (BC) में मिलता है। जब जूलियस सीजर Leap Year Concept लेकर आए। इसके बाद पोप ग्रेगरी XIII ने 1582 में ग्रेगोरियन कैलेंडर पेश किया।