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भारतीय अर्थव्यवस्था पर केंद्र सरकार के श्वेत पत्र ने UPA की विफलताओं का विवरण दिया

UPA सरकार के हतोत्साहित करने वाले निवेश परिवेश ने, देश के घरेलू निवेशकों को भारत के बाहर निवेश के अवसर तलाश करने पर मजबूर कर दिया था। लगातार हो रही नीतिगत बदलाव के कारण निवेशकों ने इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे देशों का रुख किया।

भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कल भारतीय अर्थव्यवस्था पर 59 पेज का श्वेत पत्र लोकसभा में पेश किया। इसके अनुसार साल 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आयी, उस वक़्त खराब अर्थव्यवस्था के साथ-साथ इकोनॉमिक मिसमैनेजमेंट और करप्शन था। UPA सरकार के हतोत्साहित करने वाले निवेश परिवेश ने, देश के घरेलू निवेशकों को भारत के बाहर निवेश के अवसर तलाश करने पर मजबूर कर दिया था। लगातार हो रही नीतिगत बदलाव के कारण निवेशकों ने इंडोनेशिया और ब्राजील जैसे देशों का रुख किया। साल 2014 में सत्ता में आने के बाद NDA की सरकार ने की अहम और कठोर फैसले लिए। यही वजह है कि भारत अब दुनिया की पांच नाजुक अर्थव्यवस्थाओं से विश्व के शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है। 

तीन पार्ट में श्वेत पत्र पेश किया :

पार्ट A: UPA सरकार में भारत की आर्थिक स्थिति
1. पांच साल महंगाई चरम पर रही, खामियाजा आम आदमी ने भुगता
UPA सरकार को अधिक सुधारों के लिए तैयार एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी, लेकिन उसने अपने दस साल में इसे नॉन परफॉर्मिंग बना दिया। 2004 में जब UPA सरकार ने अपना कार्यकाल शुरू किया तो इकोनॉमी 8% की दर से बढ़ रही थी। पहले 5 साल यानी 2004 से 2008 तक इकोनॉमी तेजी से बढ़ी और महंगाई भी कम थी।

फिर 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के बाद किसी भी तरह से हाई इकोनॉमिक ग्रोथ को बनाए रखने के लिए UPA सरकार ने आर्थिक नींव को गंभीर रूप से कमजोर कर दिया। ऐसी ही एक नींव जिसे UPA सरकार ने बुरी तरह कमजोर कर दिया था, वह थी प्राइस स्टेबिलिटी। 2009 से 2014 के बीच महंगाई चरम पर रही और इसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ा।

2. इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण पर ध्यान नहीं, 10 साल में 16,000 km सड़क
UPA सरकार ने भविष्य के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में अपनी विफलता स्वीकार की। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका के जवाब में UPA सरकार ने कहा था कि लगभग 40,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों में से 24,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग 1997 से 2002 तक NDA शासन के दौरान बने थे। इसके बाद, UPA सरकार के पिछले दस वर्षों में केवल लगभग 16,000 किलोमीटर जोड़े गए हैं।

3. 2010 से GST लागू करने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका
UPA सरकार ने 1 अप्रैल 2010 से वस्तु एवं सेवा कर (GST) लागू करने का वादा किया था। देश भर से 26 पार्टियों का गठबंधन होने के बावजूद, UPA सरकार 1 अप्रैल 2010 को GST लागू करने में विफल रही। इससे स्ट्रक्चरल रिफॉर्म बाधित हुआ। हमारी सरकार आने तक वन नेशन, वन मार्केट सिस्टम को प्राप्त करने की आकांक्षा एक अवास्तविक लक्ष्य बनकर रह गई।

पार्ट B: UPA सरकार के विभिन्न घोटाले
1. कोयला ब्लॉक आवंटन में भ्रष्टाचार, 1.86 लाख करोड़ रुपए का नुकसान
इसमें निजी कंपनियों को सरकार की ओर से कोल ब्लॉक्स के आवंटन में अनियमितताएं और भ्रष्टाचार किया गया था। CAG के अनुमान के अनुसार इससे सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। यह बात 2012 में सामने आई थी। सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे 204 आवंटन रद्द कर दिए। 47 मामलों में से 14 मामलों में अभियुक्तों को ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया है।

2. कॉमनवेल्थ गेम्स में भ्रष्टाचार, इससे इवेंट प्रभावित हुआ
खेलों से संबंधित विभिन्न प्रोजेक्ट की प्लानिंग और एग्जीक्यूशन में भ्रष्टाचार किया गया। इससे यह इवेंट प्रभावित हुआ। 8 मामलों में आरोप पत्र दायर किए गए जो दिल्ली की अदालतों में विचाराधीन हैं।

3. 2G टेलीकॉम घोटाला, इससे 1.76 लाख करोड़ के रेवेन्यू का नुकसान
इसमें सरकार को लगभग 1.76 लाख करोड़ के संभावित राजस्व का नुकसान हुआ। नुकसान का अनुमान CAG ने 3G स्पेक्ट्रम की दरों के आधार पर लगाया है। भ्रष्टाचार के मामले अपीलीय अदालत में हैं।

पार्ट C: मोदी सरकार ने कैसे इकोनॉमी बदली
1. इकोनॉमी मजबूत हुई, 2027 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगा भारत
2014 में जब से हमारी सरकार ने सत्ता संभाली है, तब से भारतीय अर्थव्यवस्था में कई स्ट्रक्चरल रिफॉर्म्स हुए हैं, जिससे अर्थव्यवस्था के फंडामेंटल्स मजबूत हुए हैं। 2014 में भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, जो 2023 में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गई। IMF के अनुमान के अनुसार 2027 तक इसके तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की उम्मीद है।

2. इन्फ्रास्ट्रक्चर बदला, सड़क निर्माण की गति 2.3 गुना बढ़ी
हमारी सरकार के नेशन फर्स्ट के दृष्टिकोण ने भारत के इन्फ्रास्ट्रक्चर और लॉजिस्टिक्स ईकोसिस्टम की क्वालिटी को बदल दिया है, जो देश के लिए इन्वेस्टमेंट अट्रैक्ट करने और ग्लोबल वैल्यू चेन में अपनी उपस्थिति का विस्तार करने में महत्वपूर्ण है।

3. मोदी सरकार ने औसत महंगाई 5.0% पर रखी, UPA के समय 8.2% थी
FY14 और FY23 के बीच औसत वार्षिक महंगाई 5.0% रही है जो FY04 और FY14 के बीच 8.2% थी। जियोपॉलिटिकल डेवलपमेंट के कारण ग्लोबल कमोडिटी की कीमतें काफी बढ़ गई हैं, नहीं तो औसत महंगाई और भी कम होती। सरकार ने सप्लाई सोर्सेज में डायवर्सिफिकेशन और प्रमुख फूड आइटम्स के बफर को मजबूत करके महंगाई को कंट्रोल में रखा है।