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साईं नगरी में भीख मांगते मिले पूर्व ISRO वैज्ञानिक! पुलिस पूछताछ के बाद हुआ खुलासा

शिरडी की पवित्र धरती पर शनिवार को चलाए गए भिखारी पकड़ो अभियान में एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया। भीख मांगते एक व्यक्ति को जब पुलिस ने रोका तो वह धाराप्रवाह अंग्रेज़ी में बात करने लगा। पूछताछ में उसने खुद को इसरो का पूर्व अधिकारी बताया, जिससे पुलिस भी चौंक गई।

दरअसल साईं बाबा के दरबार में रोज़ाना हजारों श्रद्धालु आते हैं। इस भीड़ का फायदा उठाते हुए कई भिखारी यहां डेरा जमा लेते हैं। कुछ नशे के आदी भी होते हैं। इसी वजह से शिरडी पुलिस, नगर परिषद और साईं संस्थान हर दो महीने में मिलकर मुंबई भिक्षावृत्ति निषेध अधिनियम, 1959 की धारा 5 (5) के तहत विशेष अभियान चलाते हैं। पकड़े गए भिखारियों को अदालत के आदेश पर विसापुर स्थित सरकारी भिखारी गृह भेजा जाता है।

इस अभियान के दौरान पुलिस के हत्थे चढ़ा व्यक्ति आम भिखारियों से अलग निकला। उसने अपना नाम के.एस. नारायणन बताया और दावा किया कि वह 1988 में इसरो से जुड़े थे और 2008 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। इसके बाद पुलिस ने उनसे गहन पूछताछ शुरू की।

क्यों मांगनी पड़ी भीख?
नारायणन ने बताया कि वह साईं बाबा के दर्शन के लिए नासिक से शिरडी आए थे। लेकिन नासिक में उनका बैग चोरी हो गया, जिसमें पहचान पत्र, आधार कार्ड और नकद पैसे थे। ऐसे में वे मजबूरी में भक्तों से मदद मांगने लगे। उन्होंने बताया कि उनका बड़ा बेटा यूके में नौकरी करता है और उनके भाई ने उनसे 12 लाख रुपये की धोखाधड़ी की है। नारायणन का दावा था कि वह पीएसएलवी, जीएसएवी और चंद्रयान जैसे मिशनों का हिस्सा रह चुके हैं। उन्होंने श्रीहरिकोटा में कार्यरत इसरो वैज्ञानिक ए. राजराजन को अपना मित्र भी बताया।

पुलिस को क्यों छोड़ना पड़ा?
पुलिस ने उसे बाकी भिखारियों से अलग रखा और उसकी जानकारी की बारीकी से जांच की। उसके बैंक खाते, यात्रा विवरण और संपर्कों की पड़ताल की गई। हालांकि इसरो से आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी, लेकिन नारायणन की जानकारी विश्वसनीय लगी। इसके बाद उसका बयान दर्ज कर पुलिस ने उसे छोड़ दिया।