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आस्था का अद्भुत केंद्र है जयपुर का 400 साल पुराना मोती डूंगरी गणेश मंदिर

भारत में स्थित सबसे पवित्र और प्रसिद्ध गणेश मंदिरों की बात की जाए तो सिद्धिविनायक मंदिर का नाम सबसे पहले आता है। लेकिन इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी कई प्रसिद्ध गणेश मंदिर हैं।
जयपुर के तिलक नगर में बिरला टेम्पल के पास जवाहर लाल नेहरू मार्ग पर स्थित मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास लगभग 400 साल पुराना माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1761 के आसपास सेठ जय राम पल्लीवाल की देखरेख में हुआ था।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसका निर्माण राजस्थान के उत्तम पत्थरों से लगभग 4 महीनों में पूरा किया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला भी भक्तों को आकर्षित करती है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर की कहानी बहुत दिलचस्प है। कहा जाता है कि राजा गणेश की प्रतिमा लेकर बैलगाड़ी से यात्रा कर रहे थे और शर्त थी कि बैलगाड़ी जहां रुकेगी, वहीं गणेश मंदिर बनेगा।
कहानी के अनुसार बैलगाड़ी डूंगरी पहाड़ी के नीचे रुकी। सेठ जय राम पल्लीवाल ने उस स्थान पर एक मंदिर बनाने का निर्णय लिया। मोती डूंगरी गणेश मंदिर जयपुर और पूरे राजस्थान के सबसे बड़े गणेश मंदिरों में से एक है। इस पवित्र मंदिर में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं। प्रत्येक बुधवार को मंदिर में एक बड़ा मेला लगता है और इसी दिन सबसे अधिक श्रद्धालु आते हैं। मंदिर परिसर में एक शिवलिंग भी स्थापित है और लक्ष्मी-नारायण की मूर्ति भी स्थापित की गई है।
ऐसा माना जाता है कि कुँवारे युवक-युवती, जिनकी शादी में देरी हो रही हो, वे यहां दर्शन करने आते हैं तो उनका विवाह जल्दी हो जाता है। मोती डूंगरी गणेश मंदिर में हर समय भक्तों का आगमन बना रहता है। श्रद्धालु रोजाना सुबह 5 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक और शाम 4:30 बजे से रात 9 बजे तक मंदिर के दर्शन कर सकते हैं। मंदिर में जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर यहां आना विशेष महत्व रखता है।