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जस्टिस संजीव खन्ना होंगे सुप्रीम कोर्ट के 51वें मुख्य न्यायाधीश, 11 नवंबर को संभालेंगे पदभार

 

सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना होंगे, जो 11 नवंबर को अपने पद की शपथ लेंगे। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने गुरुवार को यह जानकारी दी। वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जो 10 नवंबर 2024 को रिटायर हो रहे हैं, ने जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की थी। परंपरागत रूप से, मौजूदा CJI कानून मंत्रालय से अनुरोध मिलने पर अपने उत्तराधिकारी का नाम आगे बढ़ाते हैं। वरिष्ठता क्रम में जस्टिस खन्ना के नाम का चयन हुआ, हालांकि उनका कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का रहेगा, और वे 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त होंगे।

जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को हुआ था। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की और 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकरण कराया। 2019 में सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किए जाने से पहले, वे दिल्ली हाईकोर्ट में 14 वर्षों तक न्यायाधीश रहे। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस खन्ना ने 65 से अधिक फैसले लिखे और 275 बेंचों में भाग लिया। जस्टिस खन्ना के प्रमोशन को लेकर 2019 में विवाद हुआ था, जब कॉलेजियम ने वरिष्ठता क्रम में 33वें स्थान पर रहे खन्ना को प्रमोट किया। इसके बाद राष्ट्रपति ने इस सिफारिश को स्वीकृति दी।

CJI पद के मामले में खन्ना परिवार का ऐतिहासिक योगदान
यह दुर्लभ संयोग है कि जस्टिस संजीव खन्ना, सुप्रीम कोर्ट के उसी कोर्ट रूम से अपने कार्यकाल की शुरुआत कर रहे हैं, जहां से उनके चाचा, दिवंगत जस्टिस एचआर खन्ना ने रिटायरमेंट लिया था। जस्टिस एचआर खन्ना को आपातकाल के दौरान सरकार के खिलाफ ऐतिहासिक फैसले सुनाने के लिए जाना जाता है। उनके पिता, जस्टिस देवराज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं।

सेम सेक्स मैरिज मामले से खुद को अलग किया
जस्टिस संजीव खन्ना ने अगस्त 2024 में सेम सेक्स मैरिज के 52 पुनर्विचार याचिकाओं से खुद को अलग कर लिया, इसके पीछे उन्होंने निजी कारणों का हवाला दिया। अब नई बेंच का गठन कर सुनवाई की जाएगी। 17 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इंकार कर दिया था, जिसके बाद कई याचिकाओं के जरिए पुनर्विचार की मांग की गई।

जस्टिस खन्ना के महत्वपूर्ण फैसले
VVPAT सत्यापन:
2024 में, ADR द्वारा 100% VVPAT सत्यापन की याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस खन्ना की बेंच ने निष्पक्ष चुनाव के लिए आयोग के सुरक्षा उपायों को प्रमुखता दी।

इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम: 2024 में, जस्टिस खन्ना ने दानकर्ताओं की पहचान को निजता के अधिकार से बाहर बताते हुए इस योजना को असंवैधानिक घोषित करने के पक्ष में फैसला सुनाया।

अनुच्छेद 370 निरस्तीकरण: 2023 में अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के पक्ष में जस्टिस खन्ना ने सहमति दी, इसे संघीय ढांचे के साथ मेल खाते हुए निरस्त करने का निर्णय ठहराया।

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