SBI ने डाला 'फ्रॉड' कैटेगरी में डाला अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशंस का लोन अकाउंट, ये है वजह

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने उद्योगपति अनिल अंबानी की दिवालिया कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) को एक बड़ा झटका देते हुए उसके ऋण खाते को 'धोखाधड़ी' श्रेणी में रख दिया है। यह जानकारी खुद कंपनी ने स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग में दी है।
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने बताया कि अगस्त 2016 में ली गई क्रेडिट सुविधाओं के तहत दिए गए लोन को अब SBI ने 'फ्रॉड' श्रेणी में डाल दिया है, जबकि कंपनी इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत पहले से ही दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही है।
वकीलों का आरोप – न्याय सिद्धांतों का उल्लंघन
अनिल अंबानी के वकीलों ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि SBI का यह फैसला न केवल आरबीआई के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है, बल्कि यह सुप्रीम कोर्ट और बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसलों का भी उल्लंघन करता है। वकीलों के अनुसार, यह निर्णय एकतरफा है और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों की अनदेखी करता है।

वकीलों का कहना है कि SBI ने कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) तो भेजा था, लेकिन उसमें दी गई आपत्तियों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। इतना ही नहीं, लगातार अनुरोधों के बावजूद बैंक ने आरोपों का आधार बनने वाली कोई ठोस जानकारी भी साझा नहीं की। साथ ही, अंबानी को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया। वकीलों ने यह भी कहा कि अनिल अंबानी उस समय गैर-कार्यकारी निदेशक थे और RCom के दैनिक संचालन में शामिल नहीं थे। ऐसे में उनका नाम इस सूची में डालना अनुचित और दुर्भावनापूर्ण है। गौरतलब है कि SBI ने कंपनी के अन्य स्वतंत्र और गैर-कार्यकारी निदेशकों के खिलाफ जारी नोटिस वापस ले लिया है, फिर भी अंबानी को इसी श्रेणी में बनाए रखा गया है।
पुरानी गाइडलाइंस के आधार पर कार्रवाई
वकीलों ने 2 जुलाई को SBI को भेजे पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि 20 दिसंबर 2023 को जारी किया गया Show Cause Notice, अब 15 जुलाई 2024 से लागू नए RBI मास्टर सर्कुलर के तहत निरर्थक हो चुका है। ऐसे में यह आवश्यक है कि बैंक अपना नोटिस वापस ले। पत्र में कहा गया है कि लगभग एक वर्ष तक SBI ने अंबानी के जवाबों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे यह समझा गया कि बैंक अब इस मामले को आगे नहीं बढ़ाना चाहता। लेकिन अब अचानक इस निर्णय को सामने लाना न्याय और पारदर्शिता के विरुद्ध है।
रिलायंस कम्युनिकेशंस ने भी स्पष्ट किया है कि SBI फंड डायवर्जन के पुराने आरोपों के आधार पर यह कार्रवाई कर रहा है, लेकिन यह आरोप भी अब तक सिद्ध नहीं हुए हैं।