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सुप्रीम कोर्ट से आसाराम को अंतरिम जमानत, लेकिन जेल से रिहाई अभी भी संभव नहीं

 

सुप्रीम कोर्ट ने जोधपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम (83) को अंतरिम जमानत प्रदान की है। सूरत स्थित आश्रम में महिला अनुयायी से रेप के मामले में यह जमानत 31 मार्च तक के लिए दी गई है। हालांकि, आसाराम के जेल से बाहर आने की संभावना नहीं है क्योंकि वह नाबालिग से दुष्कर्म के एक अन्य मामले में भी दोषी है।

जेल से बाहर आने में बाधा
आसाराम के वकील आरएस सलूजा ने बताया कि यह पहली बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने उसे जमानत दी है। लेकिन, जमानत के बावजूद आसाराम जेल से बाहर नहीं आएगा। गांधीनगर के पास स्थित आश्रम में एक महिला द्वारा दर्ज कराए गए रेप के मामले में वह पहले ही आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। कोर्ट ने शर्त रखी है कि जमानत के दौरान आसाराम न तो अपने अनुयायियों से मिल सकता है और न ही सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है।

आसाराम के खिलाफ मामलों की पृष्ठभूमि

जोधपुर कोर्ट: साल 2013 में जोधपुर पुलिस ने आसाराम को इंदौर स्थित आश्रम से गिरफ्तार किया था। लंबी सुनवाई के बाद, 25 अप्रैल 2018 को कोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

गांधीनगर कोर्ट: गुजरात के गांधीनगर में एक महिला ने आसाराम के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया था। 31 जनवरी 2023 को कोर्ट ने इस मामले में भी उसे उम्रकैद की सजा सुनाई।

जेल में इलाज की मांग और विवाद
जेल में रहते हुए आसाराम ने स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए विशेष इलाज की मांग की थी। 4 सितंबर 2013 को उसने याचिका दायर कर दावा किया था कि वह "त्रिनाड़ी शूल" नामक बीमारी से 13 वर्षों से पीड़ित है। उसने इलाज के लिए महिला वैद्य नीता को 8 दिनों के लिए जेल में आने की अनुमति देने की अपील की थी। मेडिकल जांच के बाद डॉक्टरों ने पाया कि ऐसी कोई बीमारी नहीं है।

पैरोल का रिकॉर्ड
बीते 5 महीनों में आसाराम को तीन बार पैरोल दी जा चुकी है। हालांकि, हर बार उसकी जेल से रिहाई की संभावना कानूनी कारणों से रुक गई। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने जमानत के फैसले में यह सुनिश्चित किया है कि आसाराम न तो अपने समर्थकों के संपर्क में आएगा और न ही न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करेगा।