मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट का पूर्व चांसलर फ़िरोज़ बख़्त को फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने MANUU के पूर्व चांसलर फ़िरोज़ अहमद बख़्त के खिलाफ मानहानि का मामला रद्द किया, शिकायतकर्ता को 1 लाख रुपये देने और माफीनामा प्रकाशित करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने 14 अक्टूबर को मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (मानू) के पूर्व चांसलर फिरोज अहमद बख़्त के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला रद्द कर दिया और उन्हें इस संबंध में स्थानीय दैनिक समाचार पत्र के पहले पन्ने पर "बड़े अक्षरों" में बिना शर्त माफी प्रकाशित करने का निर्देश दिया।
गौरे तलब है कि कोर्ट ने फ़िरोज़ बख्त के बेतुके आरोपों के कारण मानसिक पीड़ा के लिए 4 सप्ताह के भीतर 1 लाख रुपये का प्रतीकात्मक हर्जाना देने का आदेश दिया है।
फिरोज बख्त के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत मानहानि का मामला दायर किया था, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया गया था कि विश्वविद्यालय की आंतरिक शिकायत समिति को उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने के बावजूद भी ये टिप्पणियां की गईं।

वही साफ़ तौर पर ये भी जाहिर हो चुका है कि अपनी बातों से विवाद में रहने वाले फिरोज़ बख्त ने आपसी विवाद के कारण प्रोफेसर एहतेशाम अहमद पर आरोप लगाए थे, जिससे उनकी छवि को खराब किया जा सके।
जस्टिस बी.आर. गवई और वी.के. विश्वनाथन की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता विभा दत्ता मखीजा ने कहा कि याचिकाकर्ता ने 19 सितंबर को बिना शर्त माफी मांगी है और पिछली कार्यवाही के अनुसार, वे इसे अखबार में प्रकाशित करने के लिए भी तैयार हैं। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि बयान भावनात्मक रूप से दिए गए थे। मखीजा ने कहा, हम बयान वापस लेने को तैयार हैं।
याचिकाकर्ता की समझौता करने की इच्छा को देखते हुए, न्यायालय ने सभी कार्यवाही रद्द कर दी और उन्हें हर्जाना देने का निर्देश दिया।
नाजिम अली की रिपोर्ट