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वक्फ बोर्ड संशोधन बिल से मुसलमानों में जागी नई उम्मीद, भ्रष्टाचार पर लगेगा अंकुश: अनीस अब्बासी

लोकसभा में वक्फ बोर्ड अधिनियम संशोधन विधेयक पारित होने पर दिल्ली भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अनीस अब्बासी ने कहा कि इस विधेयक के पारित होने के साथ ही देशभर के मुसलमानों, विशेष रूप से गरीब और पिछड़े तबकों में नई उम्मीदों की किरण नजर आने लगी है। इस ऐतिहासिक फैसले से न केवल मुस्लिम समाज को उसके वास्तविक अधिकारों की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होगा, बल्कि वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनका समुचित विकास भी सुनिश्चित किया जा सकेगा।

मोदी सरकार द्वारा लाए गए इस संशोधन विधेयक को लेकर जहां आम मुस्लिम समुदाय में खुशी की लहर दौड़ पड़ी, वहीं देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने मिठाइयां बांटकर खुशी का इज़हार किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन में नारे लगाए। समाज के लोगों का कहना है कि वर्षों से वे केवल वोट बैंक की राजनीति का शिकार बनते आए हैं, लेकिन अब उन्हें विश्वास है कि वे भी मुख्यधारा में अपनी भागीदारी दर्ज करा सकेंगे।

विधेयक का विरोध कर रहे विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए मुस्लिम समाज के कई प्रतिनिधियों ने कहा कि विपक्ष का रवैया केवल सियासी स्वार्थ से प्रेरित था। उन्होंने आरोप लगाया कि इन दलों ने बिल का विरोध कर अपने राजनीतिक लाभ के लिए एक वर्ग को गुमराह करने का प्रयास किया, जो लोकतंत्र के लिए खतरनाक संकेत है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बिल वक्फ बोर्डों में वर्षों से फैले भ्रष्टाचार पर सीधा प्रहार करेगा और इससे पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग पर भी रोक लगेगी, जिससे उनका सही उपयोग संभव होगा।

केंद्र सरकार से यह मांग भी उठी है कि भविष्य में ऐसे ही और सख्त कानून लाए जाएं, जिससे राजनीतिक षड्यंत्रों और वोट बैंक की सियासत पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके। साथ ही यह सुनिश्चित हो सके कि देश के सभी वर्गों को उनका संवैधानिक अधिकार समय पर और न्यायपूर्ण तरीके से मिले।

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अगर सरकार इच्छाशक्ति दिखाए तो भ्रष्टाचार और वोट बैंक की राजनीति पर प्रभावी नियंत्रण संभव है। वहीं, विपक्ष को भी अब आत्मचिंतन करने की ज़रूरत है कि अगर उन्होंने बहस और आरोप-प्रत्यारोप के बजाय देश और समाज के विकास में उतनी ऊर्जा लगाई होती, तो आम लोगों का जीवन कहीं बेहतर होता।

यह विधेयक न केवल मुस्लिम समाज के सशक्तिकरण की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को भी मजबूती देने वाला साबित हो सकता है।