बिहार के राज्यपाल ने के. के. मुहम्मद के सम्मान में ‘ग्लिंपसेज ऑफ आर्ट एंड आर्कियोलॉजी ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया’ पुस्तक का विमोचन किया, IPS विकास वैभव ने साझा किया अपना अनुभव

राजभवन में सुप्रसिद्ध पुरातत्वविद पद्मश्री के के मुहम्मद के सम्मान में समर्पित अभिनन्दन ग्रन्थ 'ग्लिंपसेज ऑफ ऑर्ट एंड आर्कियोलॉजी ऑफ इंडिया एंड साउथ एशिया' का विमोचन किया गया। जिसमें IPS विकास वैभव भी शामिल हुए। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि "संपूर्ण भारतवर्ष के अनेक क्षेत्रों में के के मुहम्मद जी के कृतित्व अपने-आप में एक विरासत का स्वरूप ग्रहण कर चुके हैं । वैसे तो भौतिक रूप से उनसे मेरी प्रथम भेंट नवंबर, 2019 में विक्रमशिला के भग्नावशेषों के मध्य हुई थी और उन्हें तब समीप से जानने का अवसर मिला था परंतु उसके बहुत पूर्व उनके विराट व्यक्तित्व से मेरा परिचय फरवरी, 2015 में ही हो चुका था जब मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के ऐतिहासिक स्थलों के भ्रमण हेतु पहुंचा था । तब मैंने जाना था कि अपराधग्रस्त चंबल क्षेत्र के ऐतिहासिक बटेश्वर मंदिर काम्प्लेक्स में बिखरे-पड़े भग्नावशेषों का अध्ययन करते हुए 80 से अधिक मंदिरों के पुनर्निर्माण के क्रम में निर्भर सिंह गुज्जर सहित अनेक स्थानीय डकैत गिरोहों से जब उनका साक्षात्कार हुआ था तब भी वह घबराए नहीं थे और विरासतों के संरक्षण में वैसे तत्वों को भी सहयोग हेतु उन्होंने प्रेरित करने का कार्य किया था । विरासतों में समाहित प्रेरणा और उनके सहज व्यक्तित्व के कारण डकैतों ने भी उनका विरोध कभी नहीं किया और आज संपूर्ण मंदिर परिसर उनकी गाथाओं का जीवंत प्रतीक बन चुका है । इसी प्रकार छत्तीसगढ के अति-उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में भी विरासतों के संरक्षण के क्रम में उग्रवादियों से भी वह कभी नहीं डरे और अपना कार्य करते रहे।"
उन्होंने आगे कहा कि "उनके विराट व्यक्तित्व में सबसे अधिक प्रेरणा सत्य के प्रति उनके समर्पण तथा अडिग भावों से मिलती है चूंकि किसी भी परिस्थिति में वह सत्य से कभी विमुख नहीं हुए और बिना किसी भय अथवा पक्षपात के उन्होंने राष्ट्र के समक्ष सदैव सत्य को ही रखा । 1976 में वह प्रोफेसर बी बी लाल के कुशल नेतृत्व में रामजन्मभूमि, अयोध्या में अवस्थित विवादित बाबरी मस्जिद क्षेत्र के उत्खनन की टीम में सम्मिलित रहे थे और जब विवाद के कारण संपूर्ण राष्ट्र में तनाव उत्पन्न था, तब राष्ट्र के समक्ष सभी तथ्यों को स्पष्ट रखते हुए उन्होंने वहाँ विशाल प्राचीन मंदिर के अवशेषों के होने की पुष्टि की थी, जबकि उनके अनेक वरीय इतिहासकार तथ्यों से परे वक्तव्य देकर राष्ट्र को दिगभ्रमित रहे थे । सरकारी सेवा में रहते हुए सत्य के प्रति ऐसा समर्पण अपने-आप में अत्यंत सराहनीय एवं अनुकरणीय है ।"

IPS विकास वैभव ने कहा कि "विरासत में समाहित जिस असीम शक्ति का अनुभव के के मुहम्मद जी ने अपने लंबे कार्यकाल में किया था और जिसके कारण डकैतों अथवा उग्रवादियों द्वारा भी संरक्षण के कार्य में कभी अवरोध नहीं किया गया था, उसका साक्षात अनुभव मैंने भी बगहा और रोहतास के अपने कार्यकाल में किया था और उनसे मिलने पर उनके साथ साझा भी किया था, जिससे वह अत्यंत प्रभावित हुए थे और तत्पश्चात हमारा जुड़ाव और प्रगाढ़ होता चला गया था । बगहा, जिसे पत्रकारों द्वारा मिनी-चंबल और अंग्रेज अधिकारी द्वारा यूनिवर्सिटी ऑफ क्राइम कहा गया था तथा रोहतास, जहाँ उग्रवादियों का अघोषित साम्राज्य स्थापित था और वर्ष 2002 में डीएफओ, 2006 में डीएसपी तथा अनेक पुलिसकर्मी शहीद हो चुके थे, में विरासतों में समाहित प्रेरणा के प्रसार से समाज में सकारात्मक परिवर्तन के भावों की उत्पत्ति हुई थी और कालांतर में सभी अपराधियों तथा उग्रवादियों का आत्मसमर्पण संभव हो सका था जिसे कभी असंभव माना जाता था। विरासतों में समाहित प्रेरणा के कारण ही पिछले 4 वर्षों से Let's Inspire Bihar अभियान में बिहार के उज्ज्वलतम भविष्य निर्माण हेतु लाखों बिहारवासी जुड़कर जाति-संप्रदाय, लिंगभेद और विचारधारात्मक मतभेदों से उपर उठकर योगदान समर्पित कर रहे हैं और मन भविष्य के प्रति अत्यंत आशान्वित है।"
आखिरी में IPS विकास वैभव ने अभिनंदन ग्रंथ के दोनों संपादकों गीता तथा ओ पी पांडेय जी को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि केवल एक ही फैलिसिटेशन वाॅल्यूम उनके कृतित्वों के अनुसार पर्याप्त नहीं है चूंकि संपूर्ण भारतवर्ष सहित बिहार में भी केसरिया, राजगृह, वैशाली समेत अनेक स्थलों पर उनके कृतित्वों से जुड़ी गाथाएं अब ऐतिहासिक हो चुकी हैं और उन्हें ग्रंथों में संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक हो गया है । ऐसे अनेक अन्य वाल्यूम भी प्रकाशित हों, जिसमें संबोधित गाथाएं एवं संस्मरण भी सम्मिलित हों, इसके लिए हम सभी को मिलकर प्रयास करना चाहिए ।