बिहार विधान परिषद से रामबली के निष्कासन पर सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने सचिवालय से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने एमएलसी के रूप में अयोग्य ठहराए जाने को चुनौती देने वाली आरजेडी नेता रामबली सिंह की याचिका पर बिहार विधान परिषद से जवाब मांगा है। मामले में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने बिहार विधान परिषद, उसके सचिव और शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर रामबली सिंह की याचिका पर जवाब मांगा है। वहीं अब इस मामले में पीठ ने 25 अक्टूबर को फिर सुनवाई करने की तारीख तय की है। रामबली सिंह 29 जून, 2020 को विधान परिषद के सदस्य चुने गए थे और उनका छह साल का कार्यकाल 28 जून, 2026 को समाप्त होना था।
दरअसल, रामबली सिंह को बिहार विधान परिषद के स्पीकर ने आदेश पारित कर अयोग्य घोषित करते हुए उनकी सदस्यता को रद्द कर दिया था. रामबली के खिलाफ शिकायत थी कि उन्होंने विधान मंडल से अनुमोदित राज्य सरकार की नीतियों के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिए थे. इन्हीं आरोपों पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी. उस वक्त उनकी पार्टी राज्य सरकार का हिस्सा थी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से पहले आरजेडी नेता ने बिहार विधान परिषद से अपनी सदस्यता रद्द के फैसले को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था. पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस के. विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने रामबली की याचिका पर अपना फैसला सुनाते हुए विधान परिषद के सभापति के फैसले को वैध करार दिया था. रामबली सिंह पर पार्टी विरोधी क्रियाकलापों एवं अनुशासन भंग करने का आरोप था.
तत्कालीन सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने उन आरोपों को सही पाते हुए छह फरवरी को विधान परिषद से उनकी सदस्यता रद्द कर दी थी. सभापति के आदेश के विरुद्ध उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. अब सभापति के आदेश और पटना हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.