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जदयू ने त्यागा सामाजिक न्याय के साथ विकास का नारा, सन ऑफ चंद्रवंशी का नारा बुलंद करेंगे जदयू नेता प्रमोद

 

आज 19 मार्च 2023 को हार्डिग रोड अवस्थित अति पिछड़ा आयोग के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ जेडीयू नेता प्रमोद चंद्रवंशी के आवास पर जेडीयू, समाजवादी तथा चंद्रवंशी समाज के हितों के लिए समर्पित नेताओं द्वारा आयोजित चिंतन बैठक में इस बात पर गहरी चिंता व्यक्त की गई कि समता पार्टी से प्रारंभ सामाजिक न्याय के साथ विकास की यात्रा को वर्तमान सत्ताधारी पार्टी के मुखिया नीतीश कुमार के द्वारा मुख्य हाईवे से उतारकर विरान टाल में परित्याग कर दिया गया है।

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चिंतन बैठक में रूपरेखा रखते हुए वरिष्ठ जेडीयू नेता प्रमोद सिंह चंद्रवंशी ने प्रकाश डालते हुए कहा कि  स्वo जार्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में समता पार्टी ने कर्पूरी ठाकुर और लोहिया के विचारो का अनुसरण कर दलितों एवं अति पिछड़ों के सामाजिक एवं राजनैतिक भागीदारी को मजबूत करने के लिए समता पार्टी का गठन किया था. जिससे वास्तविक रूप से पिछड़े समूह को उनका हक मिल सके तथा बिहार में उस समय व्याप्त सरकारी आतंक और सत्ता पर काबिज प्रभावशाली जाति समूहों को हटाया जा सके। इन्ही आदर्शों को मूर्त रूप देने के लिए नीतीश कुमार एवं शरद यादव के नेतृत्व में जेडीयू का गठन किया गया. 

इतना ही नहीं दलितों, अति पिछड़ों को संगठित कर समर्पित कार्यकर्ताओं एवं जमीनी नेताओं द्वारा संगठन को सींच कर, निजी स्वार्थ की कुर्बानी देकर संगठन को मजबूत कर 2005 में पहली बार  बिहार में सरकार बनी और एक आशा जगी कि सरकार के मुखिया नीतीश कुमार समाज के बहुसंख्यक अति पिछड़ा समूह को आगे बढ़ाने का काम करेंगे। जंगल राज के विरुद्ध गठित सरकार से आशा के अनुरूप परिणाम भी मिले। वहीं पंचायती राज संस्थाओं में अति पिछड़ों एवं महिलाओं का आरक्षण का प्रावधान एक महत्वपूर्ण कदम था। उन्होंने निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि कालांतर में नीतीश कुमार सामाजिक न्याय के साथ विकास के एजेंडा को भूलने लगे है। मेरे जैसे समर्पित नेताओं को संगठन एवं सरकार के मुख्यधारा से किनारे कर दिया गया। 

मौकापरस्त, दलबदलु एवं बिना जनाधार वाले तत्वों को पार्टी एवं सरकार में महत्व दिया गया और उनके इशारे पर सुनियोजित दंगे से अति पिछड़े के आरक्षण के अधिकार को कुंद किया गया। पिछड़ा वर्ग के संपन्न जातियों को अतिपिछड़ा वर्ग में जगह देकर कर्पूरी ठाकुर के आदर्शों का गला घोटा गया और मध्यवर्ती जातियों को अति पिछड़ा के हक पर डाका डालने के लिए प्राधिकृत कर दिया गया जबकि सरकार चाहती तो मध्यवर्ती जातियों के लिए एक और कैटेगरी का प्रावधान कर सकती थी  । जंगल राज के नायक जाति तथा सरकारी जाति में शुमार जाति को पिछड़ा वर्ग के सुविधाओं के दोहन के लिए वाक ओवर दे दिया गया। जंगल राज के पर्याय गढ़ने वाला जेडीयू उन्ही के विचारधारा में शामिल होने 2015 में चली गई। बिहार की जनता के लिए यह एक विश्वासघात था और अमन चैन के विरुद्ध वार्निंग कॉल था। यही कारण था कि मजबूत एनडीए गठबंधन के बावजूद जेडीयू 115 से 45 सीट पर सिमट गई और नीतीश कुमार को कुर्सी कुमार और अनेक नाम से नवाजा जाने लगा।

आज हुए बैठक में शामिल वक्ताओं ने रोष प्रकट किया कि वर्तमान परिदृश्य में पार्टी अपने सिद्धांतों से बिल्कुल किनारा कर के लालू जी के जंगल राज के नए संस्करण के साथ पुनः हाथ मिला लिए है। चापलूसों के तिलिस्म में फसें मुख्यमंत्री अपना विवेक और राजनैतिक सुचिता को त्याग चुके है और इन्ही वजह से प्रमोद चंद्रवंशी के बड़े भाई की निर्मम हत्या पर भी उनकी कोई सुधि नहीं लिया और अति पिछड़ों पर हाल में हुए हमलों पर सरकार द्वारा कोई कारवाई नही की गई। रोहिणी आयोग पर सरकार बिलकुल चुप है।

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