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चिराग के समर्थन में उतरे मांझी, पारस की ईमानदारी पर उठाया सवाल

 

लोकसभा चुनाव के तारीखों का ऐलान हो चुका है. लेकिन इसके बाद भी बिहार की 40 लोकसभा सीटों की शेयरिंग का फार्मूला की घोषणा नहीं हुई है. हालांकि यह कहा जा रहा है कि सबकुछ तय हो गया है. भाजपा द्वारा चिराग को तरजीह दिए जाने को लेकर पशुपति पारस नाराज हैं. पारस की नाराजगी पर हम(सेक्युलर) के संरक्षक जीतन राम मांझी की प्रतिक्रिया सामने आई है.  उन्होंने पशुपति पारस की ईमानदारी पर भी सवाल खड़ा कर दिया है। इससे पहले मांझी के बेटे संतोष सुमन ने कहा था कि पशुपति पारस इधर-उधर करते हैं तो नरेंद्र मोदी की आंधी में उड़ जाएंगे।

जीतन राम मांझी अपने आवास पर  मीडिया से को संबोधित करते हुए एलजेपीआर के राष्ट्रीय अध्यक्ष चाचा पशुपति  और लोजपा रामविलास के सुप्रीमो चिराग पासवान के बीच  विवाद पर कहा कि पशुपति पारस पर प्रेशर बनाने का काम कर रहे हैं. इस वजह से जो साथ 4 एमपी थे उनमें से कुछ इधर-उधर भी हो गए हैं.महबूब अली कैसर पारस खेमे से निकल कर चिराग के साथ चले गए.  उन्हे समझाया गया कि चिराग पासवान युवा हैं और उनके फॉलोअर्स भी ज्यादा है. ऐसी परिस्थिति में एनडीए  के शीर्ष नेता ने निर्णय लिया कि जो भी सीट है वह चिराग पासवान की पार्टी को दी जाएगी. पशुपति पारस से कहा कि आपके व्यक्तित्व और प्रतिष्ठा के लायक आपको भी जगह दी जाएगी.

जीतनराम मांझी ने कहा कि इसके बाद भी  पारस नहीं मान रहे हैं. कभी आरजेडी में जाएंगे तो कभी कहते हैं हाजीपुर से चुनाव लडेंगे. कभी कहते हैं एनडीए के ईमानदार सिपाही हैं। यह दोनों बात एक साथ कैसे हो सकती है? ईमानदार सिपाही अगर खुद को मानते हैं तो एनडीए के निर्णय को बिना किसी विवाद के मान लेना चाहिए.

इससे पहले जीतन राम मांझी के पुत्र और नीतीश सरकार के मंत्री संतोष कुमार सुमन पशुपति कुमार पारस को बड़ी नसीहत दी. उन्होंने कहा कि एनडीए में रहेंगे तो ठीक रहेंगे। अगर इधर-उधर किए तो नरेंद्र मोदी की आंधी में उड़कर कहां चले जाएंगे इसका पता भी नहीं चलेगा. संतोष मांझी ने कहा कि राजनीति जनता की सेवा के लिए होता ना कि सीट की लड़ाई के लिए. पशुपति पारस को एनडीए का फैसला मान लेना चाहिए.

एनडीए में सीट बंटवारे के सवाल पर जीतन राम मांझी ने कहा कि सब काम समय से हो जाएगा. यह कोई नई बात नहीं है बहुत सी पार्टियां हैं.  हम तो 1980 से चुनाव लड़ रहे हैं। बहुत बार ऐसा हुआ है कि चुनाव की घोषणा के बाद 2 से 5 दिनों तक यानी नामांकन के समय तक सीट फाइनल होता है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर कहा कि इससे कोई फायदा नहीं होगा. 2024 में किसी से कंपटीशन नहीं है। जनता नरेंद्र मोदी के साथ है.

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