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मंत्री विजय चौधरी ने कहा- गरीबों से हमदर्दी का ढोंग कर रहे तेजस्वी, आरक्षण को लेकर HC के खिलाफ सरकार ने SC में अपील की है

 

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव लगातार इसकी मांग कर रहे हैं बिहार में बढ़े हुए आरक्षण (65 फीसद आरक्षण) को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए. इसको लेकर अब जेडीयू की ओर से प्रतिक्रिया आई है. मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि आज की तिथि में जब यह कानून ही नहीं है तो 9वीं अनुसूची में शामिल करने की बात कैसे की जा सकती है? जेडीयू के प्रदेश कार्यालय में को विजय कुमार चौधरी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे. इस मौके पर पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा भी मौजूद थे.

विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जब इस कानून को पास किया गया था तो तत्काल मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए अनुरोध भी कर दिया था. सरकार इस मामले में कदम उठा चुकी है. विपक्ष पर हमला करते हुए विजय कुमार चौधरी ने कहा कि हमको आश्चर्य होता है कि जो लोग कहते हैं कि इस कानून को 9वीं अनुसूची में डाला जाए तो किस कानून को डाला जाए? आज तो वो कानून ही रद्द है. तो सबसे पहले समझने की बात है. 


मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि जो जातीय गणना हुई उसमें जो आंकड़े आए उसके आधार पर पिछड़ा, अति पिछड़ा और दलित समाज के लोगों के लिए बिहार सरकार ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में आरक्षण की सीमा बढ़ाई. इसे सरकार ने लागू भी कर दिया. इससे लोगों को लाभ भी मिलने लगा. वहीं जिन लोगों को यह पसंद नहीं आया उन लोगों ने कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका लगाई. कोर्ट ने उस कानून को निरस्त कर दिया. इसका अर्थ होता है कि वह कानून ही रद्द हो गया. आज के समय में वो कानून रद्द किया जा चुका है. 

मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार तत्काल सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है। हमारी सरकार की स्पष्ट सोच है कि गरीबों को बढ़े हुए आरक्षण सीमा का लाभ मिलना चाहिए, नहीं तो उन लोगों के साथ संपूर्णता में न्याय नहीं हो पाएगा। बिहार सरकार को उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट न्याय करेगा। बिहार सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट बरकरार रखेगा, वहीं जब बहाल हो जाएगा तब फिर 9वीं अनुसूची में शामिल करने की बात एक बार फिर से किया जाएगा।


वहीं राजद के एक दिवसीय धरना कार्यक्रम को मंत्री विजय चौधरी ने जबरदस्ती का श्रेय लेने का हथकंडा बताया है। उन्होंने कहा कि बिहार में जातीय गणना और इस गणना के आधार पर श्रेणीवार बढ़ा हुआ आरक्षण सीएम नीतीश कुमार की सोच और पहल का नतीजा है। हां ये बात सही है कि नीतीश कुमार की सोच पर सभी दलों ने सहमति जताई थी।