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मोहम्मद शोएब 14 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट, कहा- आपकी हत्या कर सकते हैं

 

बिहार में साइबर अपराधियों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. आम लोगों के बाद अब खास लोगों को भी निशाना बनाया जा रहा है. साइबर अपराधी अब जनप्रतिनिधियों को भी टारगेट कर रहे हैं. ऐसा ही मामला राजधानी पटना से सामने आया है, जहां के पॉश इलाके में रहने वाले विधान पार्षद को साइबर अपराधियों ने 12 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा.

राष्ट्रीय जनता दल के विधान पार्षद मोहम्मद शोएब भी साइबर अपराधियों के जाल में फंस गए. मोहम्मद शोएब राजधानी पटना के आर ब्लॉक स्थित एमएलसी फ्लैट में रहते हैं और साइबर अपराधियों ने इस फ्लैट में मोहम्मद शोएब को 12 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट करके रखा.

दरअसल 10:30 बजे सुबह साइबर अपराधियों ने मुंबई साइबर क्राइम ब्रांच के अधिकारी के नाम पर विधान पार्षद को फोन किया. वीडियो कॉल के जरिए मोहम्मद शोएब को निर्देश देते रहे. विधान पार्षद से कहा गया कि आपके आसपास जो लोग हैं वह आपकी हत्या कर सकते हैं, इसलिए किसी की मदद लिया, किसी को बताया तो नुकसान हो सकता है. घबराये एमएलसी ने किसी भी सहयोगी को यह बात नहीं बताई. रात 12:00 तक यह सब कुछ चलता रहा.

जब विधान पार्षद मोहम्मद शोएब को संदेह हुआ तो उन्होंने साइबर सेल के एक अधिकारी को सूचना दी. तब जाकर उन्हें इस बात की जानकारी हुई कि उनके साथ साइबर ठगी की जा रही है. घटना 8 अप्रैल की बताई जा रही है. साइबर थाने में एमएलसी ने लिखित शिकायत दर्ज करायी है, जिसके बाद साइबर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.

साइबर अपराधियों ने विधान पार्षद को कहा कि आपके नाम से मुंबई के केनरा बैंक में एक अकाउंट है और उस अकाउंट के जरिए मनी लॉन्ड्रिंग की शिकायत मिली है. साइबर अपराधी ने विधान पार्षद से उनके बैंक खाते का डिटेल्स, कैश, गोल्ड और अन्य संपत्ति की जानकारी भी ले ली. एक पेपर पर उनके हस्ताक्षर भी मंगवा लिए. हालांकि साइबर अपराधी ठगी करने में कामयाब नहीं हो सके.

बिहार में साइबर अपराध के मामले काफी बढ़े हैं. साइबर ठग लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने में लगे रहते हैं. खुदको वीडियो कॉल करके बड़ा अधिकारी बताकर लोगों को लाखों-करोड़ों का चूना लगाया जाता है. बीते कुछ समय में ऐसे मामलों की लंबी फेहरिस्त सामने आ चुकी है. डिजिटल अरेस्ट में व्यक्ति के पास अज्ञात नंबर से वीडियो कॉल आता है. इसमें सामने बैठा शख्स पुलिस की वर्दी में या बड़े अधिकारी के ड्रेस में रहता है. पीड़ित को यकीन हो जाता है कि कॉल किसी सरकारी ऑफिस से ही आया है.