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पटना में लगाए गए पोस्टर में की गई तुलना, लिखा- लालू राज में धार्मिक दंगे, नीतीश सरकार में अमन की बयार

 
बिहार में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ती जा रही है। इसके साथ ही पोस्टर वार भी तेज हो गया है। बुधवार को पटना के कई इलाकों में पोस्टर लगाए गए हैं, जिनमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तुलना की गई है।
पोस्टरों में लालू यादव के कार्यकाल को 'जंगल राज' बताया गया है। जबकि, नीतीश कुमार के शासन को 'सुशासन' के रूप में दर्शाया गया है।
पोस्टर में लालू यादव की तस्वीर के साथ लिखा गया है, 'लालू राज में धार्मिक दंगा, दहशत और डर का राज - यही था लालू का अंदाज!' इसमें लालू यादव के कार्यकाल में हुए कई दंगों का भी जिक्र किया गया है। वहीं, जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने पोस्टर को लेकर कहा है कि सच्चाई यही है। लालू राज में जो होता था। उसे बताया गया है।
30 मार्च 1991 - सासाराम दंगा, जिसमें धार्मिक उन्माद फैलाया गया और दंगा भड़का।
07 अक्टूबर 1992 - सीतामढ़ी दंगा, जिसमें 44 लोगों की मौत हुई।
10 जुलाई 1995 - पलामू और डाल्टनगंज में धार्मिक दंगे, 4 लोगों की मौत।
29-30 मई 1996 - भागलपुर, अररिया, समस्तीपुर और दरभंगा में धार्मिक दंगे।
01 जनवरी 1997 - पटना दंगा, जिसमें एक एसटीडी बूथ मालिक की हत्या हुई।
01 अक्टूबर 1998 - नालंदा और मुंगेर में धार्मिक उन्माद।
01 जनवरी 2000 सासाराम और बिहारशरीफ, नालंदा में धार्मिक दंगे।
09 मार्च 2001 - नालंदा के शुभु गांव में दंगे।
02 जनवरी 2003 दरभंगा दंगा, जिसमें 8 लोग और 2 पुलिसकर्मी घायल हुए, शहर में कर्फ्यू लगा।
16 जनवरी 2003 - मुंगेर दंगा, जिसमें एक मस्जिद के इमाम सहित दो लोगों की मौत हुई।
05 अक्टूबर 2003 - आरा में धार्मिक दंगे, जिसमें 70
दुकानें जला दी गईं।
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर वाले पोस्टर में उनके शासनकाल को शांति और सद्भाव का प्रतीक बताया गया है। इसमें लिखा गया है, 'एकता की रोशनी, नफरत की हार, शांति और सद्भाव का बिहार ! अमन-चैन की चले बयार, जब नीतीश जी की है सरकार।'
बिहार में यह पोस्टर वार लगातार तेज होता जा रहा है। चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों के बीच इस तरह की बयानबाजी और प्रचार अभियान और भी आक्रामक होने की संभावना है
प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि पोस्टर किसने लगाया यह मुझे नहीं पता। सच बताया गया है। दंगा, दहशत और डर का भाव यही था लालू जी का अंदाज। 12 सांप्रदायिक उन्माद की घटना, सत्ता प्राप्त करते ही 7 अक्टूबर 1994 को 44 लोगों को सरेआम मौत के घाट उतार दिया गया। अपराधियों के खिलाफ इन 12 दंगों में क्या कार्रवाई हुई इसका जवाब तेजस्वी यादव को देना होगा।