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आरा के 45 हजार प्लॉट की लोकेशन हिंद महासागर में दिख रही, सर्वे में हुई बड़ी गड़बड़ी, पढ़िए पूरी खबर

 

आरा के 14 प्रखंड के 45 हजार प्लॉट हिंद महासागर में दिख रहे हैं. इससे जिले के जमीन मालिकों की नींद उड़ गई है. सबसे बड़ी संख्या में किसान परेशान हैं. डिजिटल क्रॉप सर्वे में कृषि विभाग का डीसीएस एप कुछ ऐसा ही दिखा रहा है. भोजपुर जिले के खेतों में लगे फसल का ऑन स्पॉट डिजिटल क्रॉप सर्वे हो रहा है. इस क्रम में कृषि विभाग के कर्मी पीरो प्रखंड में प्लॉट का सर्वे करने गए. 

एक प्लॉट का सत्यापन करने के लिए लोकेशन चेक किया गया. उस दौरान एप में उस प्लॉट का लोकेशन पड़ोसी देश श्रीलंका के नजदीक हिंद महासागर में दिखा रहा था. इसी प्रकार जगदीशपुर प्रखंड की बिचला जंगल महाल पंचायत तेंदुनी के भी एक प्लॉट का लोकेशन हिंद महासागर में दिखा रहा था. कुछ अन्य खेतों के प्लॉट के सत्यापन में भी ऐसे मामले आए.

बताया जा रहा है कि ये गड़बड़ी अक्षांश और देशांतर में हुई तकनीकी खराबी के कारण हुई है. जिला भूमि संरक्षण विभाग प्लॉट के डिजिटल सर्वे के डेटा को विभागीय साइट पर अपलोड कर रहा है. जिन प्लॉटों के अक्षांश और देशांतर में गड़बड़ी है उन्हें अपलोड नहीं किया जा सका. दरअसल कुछ मौजा और खेसरा का नंबर जो एप में दिया गया है वह उस जगह पर नहीं है इसलिए वह सीधे हिंद महासागर में दिख रहा है.

बता दें कि यह डिजिटल क्रॉप सर्वे 20 दिसंबर से चल रहा है. इसका उद्देश्य किसानों की जमीन के बारे में वैज्ञानिक डेटा इकट्ठा करना है. इसके जरिए जरूरतमंद किसानों को सरकारी योजनाओं का सही लाभ दिया जा सकेगा.

कृषि विभाग को 31 जनवरी तक 10 लाख प्लॉट का डिजिटल सर्वे पूरा करने का लक्ष्य दिया है. एक प्लॉट के सर्वे के लिए पांच रुपये का बोनस दिया जा रहा है. 24 जनवरी तक 95 हजार प्लॉट का डिजिटल सर्वे हो चुका है. इनमें से 45 हजार प्लॉट में अक्षांश और देशांतर की गड़बड़ी पाई गई है. ये वो प्लॉट हैं जिन्हें राजस्व विभाग ने सर्वे के बाद ऑनलाइन किया है. कृषि विभाग यह सर्वे कर रहा है कि किस प्लॉट में रबी या खरीफ की फसल हो रही है. यह जानकारी अक्षांश और देशांतर के अनुसार इकट्ठा की जा रही है.

जिला कृषि पदाधिकारी शत्रुघ्न साहू ने बताया कि सभी प्रखंडों में डिजिटल सर्वे किया जा रहा है. इनमें प्रखंड अंतर्गत कृषि सलाहकार, कृषि समन्वयक आदि कर्मियों को लगाया गया है. यह उन्हीं प्लॉटों का सर्वे किया जा रहा है, जिनका परिमार्जन ऑनलाइन हो सका है. जो गड़बड़ी सामने आई है वह सॉफ्टवेयर के कारण हुई है. इसमें कोई तकनीकी समस्या नहीं है.

उन्होंने कहा कि हमारे इंजीनियर और डिपार्टमेंट की टीम उसी पर काम कर रही है. जैसे ही यह गड़बड़ी ठीक कर दी जाएगी उसके बाद सर्वे को आगे जारी रखा जाएगा. जो सरकार की ओरे से जो लक्ष्य और समय दिया गया है उसी के अनुरूप काम होगा. इसमें ज्यादा कोई परेशान होने वाली बात नहीं है. अगर किसान अपने एप को फिर से रिफ्रेश करेंगे तो हो सकता है उन्हें सब कुछ ठीक मिले.