प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मिली केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी, देश के 100 जिलों में होगा क्रियान्वयन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को 'प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना' को हरी झंडी दे दी है। यह महत्वाकांक्षी योजना 2025-26 से लागू होगी और देश के 100 जिलों को इसमें शामिल किया जाएगा। योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि क्षेत्र में समग्र विकास और किसानों की आय में स्थायी वृद्धि करना है।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि यह योजना नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित है और यह कृषि तथा संबंधित क्षेत्रों पर केंद्रित अपनी तरह की पहली योजना है।
योजना के प्रमुख लक्ष्य
मंत्री वैष्णव ने बताया कि योजना का मकसद है:

- कृषि उत्पादकता में वृद्धि,
- फसल विविधता को बढ़ावा देना,
- सतत कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित करना,
- फसल कटाई के बाद भंडारण सुविधाओं को बेहतर बनाना,
- सिंचाई व्यवस्था में सुधार,
- किसानों को आसान ऋण उपलब्ध कराना।
उन्होंने कहा कि यह योजना केंद्र सरकार के बजट 2025-26 की घोषणा के अनुरूप तैयार की गई है, जिसमें 100 जिलों के समावेशन की बात कही गई थी। इस योजना को 11 मंत्रालयों की 36 मौजूदा योजनाओं, राज्यों की योजनाओं और निजी भागीदारी के साथ मिलाकर ज़मीनी स्तर पर लागू किया जाएगा।
जिलों का चयन कैसे होगा?
योजना के अंतर्गत कम कृषि उत्पादन, कम फसल घनत्व और कम ऋण वितरण जैसे तीन मुख्य मानकों के आधार पर 100 जिलों की पहचान की जाएगी। प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश से कम से कम एक जिले का चयन अनिवार्य होगा। चयन प्रक्रिया शुद्ध फसल क्षेत्र और परिचालन जोत के अनुपात पर आधारित होगी।
बहुस्तरीय निगरानी और कार्यान्वयन प्रणाली
योजना के प्रभावी संचालन के लिए जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समितियाँ गठित की जाएंगी। जिलों में बनाई जाने वाली योजनाओं को जिला धन-धान्य समिति अंतिम रूप देगी, जिसमें प्रगतिशील किसानों की भागीदारी भी सुनिश्चित की जाएगी।
इन जिला योजनाओं को फसल विविधीकरण, जल एवं मृदा संरक्षण, प्राकृतिक और जैविक खेती तथा आत्मनिर्भरता जैसे राष्ट्रीय कृषि लक्ष्यों के अनुरूप तैयार किया जाएगा। योजना की प्रगति की निगरानी मासिक रूप से एक डैशबोर्ड के माध्यम से की जाएगी, जिसमें 117 प्रमुख निष्पादन संकेतकों (Key Performance Indicators) को शामिल किया जाएगा।
नीति आयोग और नोडल अधिकारियों की भूमिका
नीति आयोग इन योजनाओं की निरंतर समीक्षा और मार्गदर्शन करेगा। साथ ही, प्रत्येक जिले के लिए एक केंद्रीय नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा, जो योजना की समय-समय पर प्रगति की समीक्षा करेगा। योजना से अपेक्षा की जा रही है कि इससे कृषि क्षेत्र में स्थानीय रोज़गार, उत्पादन में बढ़ोतरी, और आत्मनिर्भरता को बल मिलेगा। जैसे-जैसे इन जिलों के संकेतकों में सुधार होगा, वैसे-वैसे देशव्यापी कृषि प्रदर्शन में भी सुधार देखने को मिलेगा।
विद्युत क्षेत्र में बड़ा फैसला: NTPC को अतिरिक्त विद्युत आवंटन की स्वीकृति
कैबिनेट ने ऊर्जा क्षेत्र को मजबूती देने के लिए एक और बड़ा निर्णय लिया है। एनटीपीसी लिमिटेड, जो एक महारत्न सार्वजनिक उपक्रम है, को नए दिशा-निर्देशों के तहत अतिरिक्त विद्युत आवंटन की अनुमति दी गई है। इससे देशभर में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं के विकास में तेजी आएगी।
वैष्णव ने बताया कि इससे न केवल 24x7 बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन, स्थानीय आपूर्ति श्रृंखला और एमएसएमई को बढ़ावा भी मिलेगा। निर्माण एवं संचालन चरण में सीधे और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी खुलेंगे, जिससे सामाजिक-आर्थिक विकास को बल मिलेगा।