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बिहार की 6 राज्यसभा सीटों पर 27 फरवरी को वोटिंग, इन सांसदों खत्म हो रहा कार्यकाल

 

एक तरफ तमाम राजनीतिक पार्टियां लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी हुई है. जो विपक्षी खेमा है उन्होंने इंडी गठबंधन बनाया है ताकि फिर से केंद्र में मोदी सरकार की वापसी ना हो सके. लेकिन वहीं दूसरी ओर एनडीए का खेमा सत्ता में वापसी के लिए पूरी ताकत लगा रहा है. लेकिन देश भर में लोकसभा चुनाव से पहले राज्यसभा के 68 सीटों पर चुनाव होने वाले है जिसमें बिहार की 6 सीट भी शामिल है. राज्यसभा में हर दो वर्ष पर एक तिहाई सीटें खाली हो जाती है. भारत निर्वाचन आयोग ने राज्यसभा चुनाव की घोषणा कर दी है. 8 फरवरी को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी. नामांकन की अंतिम तारीख 15 फरवरी है. नामांकन पत्रों की जांच 16 फरवरी, नाम वापसी का समय 20 फरवरी है. चुनाव 27 फरवरी को होंगे. उसी दिन शाम में 5:00 बजे काउंटिंग का काम होगा.

इन सदस्यों की खत्म हो रही सदस्यता 

बता दें कि 68 सीटों में इसबार 6 सीटें बिहार की है. जो 6 राज्यसभा सांसद हैं उनके कार्यकाल समाप्त हो गए हैं. राज्यसभा के जिन मौजूदा सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, उनमें भाजपा के नेता सुशील कुमार मोदी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह, जदयू के अनिल हेगड़े और वशिष्ठ नारायण सिंह तथा राजद के अशफाक करीम एवं मनोज कुमार झा के नाम हैं.

कैसे हैं समीकरण 

बिहार में हो रहे राज्यसभा चुनाव की एक सीट के लिए इस बार 35 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. विधानसभा में आरजेडी 79 विधायक हैं. इस हिसाब से देखें तो दो सीट मिलना तय है. उसके बाद भी 9 विधायक बच जाएंगे, जिससे अपने सहयोगियों को मदद पहुंचा सकते हैं. मनोज कुमार झा को रिपीट किए जाने की चर्चा है. अशफाक आलम को लेकर बताया जा रहा है कि उन्हें कटिहार से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा जा सकता है. उनकी सीट पर ही रोहिणी आचार्य को राज्यसभा भेजा जा सकता है. यहां बता दें कि आरजेडी में कई अन्य नेता भी हैं जो राज्यसभा के लिए अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं. फैसला लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव मिलकर करेंगे.

जहां तक जदयू की बात है जदयू के 45 विधायक हैं. उस हिसाब से एक सीट मिलना तय है. उसके बाद भी 10 वोट बचा रहेगा. इसे अन्य सहयोगी दल के उम्मीदवारों को मदद की जा सकती है. इस बार पार्टी के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह और अनिल हेगड़े का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. वशिष्ठ नारायण सिंह को नीतीश कुमार फिर से भेज सकते हैं. सस्पेंस की स्थिति कांग्रेस के अखिलेश सिंह को लेकर है. क्योंकि कांग्रेस के पास केवल 19 विधायक हैं. अखिलेश सिंह को पार्टी फिर से भेजने की घोषणा करती है तो उन्हें अपने लिए जरूरी विधायकों का जुगाड़ करना होगा. क्योंकि वामपंथी दलों की ओर से माले के दीपंकर भट्टाचार्य का नाम भी आगे किया जा रहा है. वामपंथी दलों के पास 16 विधायक हैं.

भाजपा के 78 विधायक हैं. ऐसे में दो सीट मिलना तय है. उसके बाद भी भाजपा के 8 विधायक बच जाएंगे. अभी पार्टी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. सुशील मोदी को फिर से भेजे जाने की चर्चा है. दूसरी सीट के लिए कई दावेदार हैं. ऋतुराज सिंह का नाम चर्चा में है. हालांकि उनके पटना से लोकसभा चुनाव लड़ने की बात भी हो रही है. बिहार में महागठबंधन की सरकार चलती रहे तो जदयू और राजद के सहमति से कांग्रेस को आसानी से एक सीट मिल जाएगी. फिर वामपंथी दलों को देना चाहेंगे तो उन्हें मिल जाएगी. दोनों में से किसी एक को मिलना तय है. यदि बिहार में राजनीतिक उठा पटक होता है और नीतीश कुमार पाला बदल लेते हैं तो कांग्रेस की परेशानी बढ़ सकती है.