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एक हो जाएंगे चाचा-भतीजा? पारस को मनाने के लिए BJP ने झोंकी ताकत, चिराग के तेवर नर्म

 

एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर मंथन चल रही है. सबसे बड़ा पेंच बिहार की 40 लोकसभा सीटों को लेकर फंसा है. वजह चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच का तनाव है. भाजपा की तरफ से दोनों को साथ लेकर चलने के लिए पूरी ताकत झोंकी जा रही है. ऐसी भी चर्चा  है कि भाजपा चाहती चिराग और पारस के एक हो जाए. जिससे सीट शेयरिंग में भी आसानी होगी. चिराग के तेवर भी थोड़े नर्म पड़े हैं. लेकिन पशुपति पारस मानने को तैयार नहीं हो रहे हैं. भाजपा के नेता लगातार पारस से मिलकर उन्हें मानने का प्रयास कर रहे हैं. आज दिल्ली में भाजपा नेता मंगल पाण्डेय ने पशुपति पारस के आवास पर जाकर मुलाक़ात की है. बता दें कि तीन दिन पहले भी दोनों मिले थे. 

मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस से मंगल पाण्डेय ने मुलकात कर सीट शेयरिंग और चिराग से सुलह को लेकर चर्चा की है. सोमवार को बिहार के भाजपा प्रभारी विनोद तावड़े से पारस की मुलाकात हुई थी. मुलाकात के दौरान पारस ने हाजीपुर सीट पर अपनी दावेदारी पेश की और कहा कि वे हाजीपुर सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। जिसपर विनोद तावड़े ने पशुपति पारस को फिर से भतीजे के साथ हो लेने की सलाह दी और प्रस्ताव रखा कि चिराग और उनकी पार्टी फिर से एक साथ आ जाए.

सूत्रों के अनुसार, विनोद तावड़े के प्रस्ताव पर पशुपति पारस ने अपनी मंशा भी साफ कर दी है. उन्होंने कहा कि चिराग एनडीए में हैं, इसे लेकर उनका कोई विरोध नहीं है. पशुपति पारस ने स्पष्ट रूप से कर दिया है कि चिराग के साथ दल, दिल और परिवार अब नहीं मिल सकते हैं. जिसके बाद उन्हें मनाने के लिए मंगल पाण्डेय ने आज मोर्चा संभाला. 

दूसरी तरफ  चिराग के तेवर थोड़े नर्म दिख रहे हैं. 10 मार्च को वैशाली की रैली में उन्होंने एनडीए के साथ गठबंधन को लेकर कुछ भी खुल कर नहीं कहा था. उन्होंने कहा था कि उनका गठबंधन सिर्फ बिहार की जनता के साथ है. लेकिन  CAA लागू होने के बाद उन्होंने  केंद्र सरकार की जमकर तारीफ की है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा " पिछले कई दशकों से देश की राजनीतिक पार्टियों द्वारा CAA के नाम पर गुमराह किया गया. हम सभी जानते है की CAA नागरिकता देने वाला कानून है. इस कानून के माध्यम से दशकों से पीड़ित शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन मिलेगा और नागरिकता अधिकार से उनके सांस्कृतिक, भाषिक, सामाजिक पहचान की रक्षा होगी. मैं और मेरी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) केंद्र सरकार के द्वारा देशहित में लिए गए इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत एवं अभिनंदन.