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बांका : स्कूल के बाहर फर्जी हाजिरी लगाती पकड़ी गई दो शिक्षिकाएं, जांच में हुआ खुलासा

बिहार के बांका जिले से शिक्षा विभाग की निगरानी प्रणाली की पोल खोलने वाला एक मामला सामने आया है। यहां दो महिला शिक्षिकाओं द्वारा ई-शिक्षा कोष मोबाइल ऐप के ज़रिए फर्जी उपस्थिति दर्ज करने का मामला उजागर हुआ है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बेलहर प्रखंड के प्रोन्नत मध्य विद्यालय कुराबा की शिक्षिका प्रियम मधु और बाराहाट प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय महुआ की शिक्षिका संध्या कुमारी नियमित तौर पर स्कूल आए बिना मोबाइल ऐप से अपनी उपस्थिति दर्ज कर रही थीं। जांच में पाया गया कि दोनों शिक्षिकाएं स्कूल परिसर से बाहर रहकर ऐप पर अपनी फोटो अपलोड कर रही थीं। जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद डीपीओ स्थापना ने दोनों शिक्षिकाओं को स्पष्टीकरण नोटिस भेजते हुए तीन दिन के भीतर प्रमाण सहित जवाब देने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट में संध्या कुमारी की 15 मई की उपस्थिति में ‘इन’ और ‘आउट’ के समय अलग-अलग फोटो दर्ज होने की बात सामने आई है, जो स्कूल से मेल नहीं खाते। वहीं, प्रियम मधु की 13 से 20 मई तक की हाज़िरी भी संदेह के घेरे में है।

बांका की सीमा से बाहर से दर्ज की गई उपस्थिति
जांच में चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया कि प्रियम मधु बांका जिले की सीमा से बाहर रहकर उपस्थिति दर्ज कर रही थीं। उनके द्वारा अपलोड की गई फोटो स्कूल के वातावरण से मेल नहीं खा रही, जिससे यह स्पष्ट होता है कि उपस्थिति के समय वे स्कूल में नहीं थीं।

निगरानी तंत्र पर उठे सवाल
बिहार सरकार ने शिक्षकों की नियमितता सुनिश्चित करने के लिए ई-शिक्षा कोष ऐप की शुरुआत की थी, ताकि स्कूलों में समय से उपस्थिति और पढ़ाई की गुणवत्ता बेहतर हो सके। लेकिन इस मामले ने प्रणाली की विश्वसनीयता पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। सूत्रों का दावा है कि कुछ शिक्षक लोकेशन बदलने वाले ऐप और फोटो संपादन टूल्स का इस्तेमाल कर विभाग को गुमराह कर रहे हैं। यह न सिर्फ शैक्षणिक कर्तव्यों की अनदेखी है, बल्कि सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग का भी मामला है।

''विभाग को धोखा देने वाले शिक्षकों को बख्शा नहीं जाएगा. मुख्यालय स्तर पर एक विशेष सेल बनाई गई है. यह सेल शिक्षकों की डिजिटल उपस्थिति को मैनुअल अभिलेखों से मिलाकर जांच कर रही है. जिले में एक दर्जन से ज्यादा शिक्षकों की संदिग्ध उपस्थिति की जांच चल रही है. दोनों शिक्षिकाओं के जवाब के बाद विभागीय कार्रवाई की जाएगी. इसमें निलंबन, वेतन रोक और अनुशासनात्मक कार्रवाई शामिल हो सकती है''. संजय कुमार, डीपीओ स्थापना