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सीएम नीतीश कुमार के करीबी आईएएस दिनेश कुमार राय ने लिया स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, करगहर से लड़ सकते हैं चुनाव

भारतीय प्रशासनिक सेवा में एक बड़ी हलचल उस समय देखने को मिली जब 2010 बैच के आईएएस अधिकारी दिनेश कुमार राय ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेने का निर्णय लिया. वे वर्तमान में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, बिहार में पदस्थापित थे. उन्हें बिहार प्रशासनिक सेवा से आइएएस में प्रोन्नति मिली थी. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ लम्बे समय तक जुड़े रहे हैं. उनकी तैनाती ज्यादा तर मुख्यमंत्री सचिवालय में रही है. आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में करगहर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने की चर्चा पिछले छह महीने से चल रही है, जिसपर अब मुहर लगती दिखाई देती है.
दिनेश राय
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से पहले दिनेश कुमार राय पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया में जिलाधिकारी के रूप में भी सेवाएं दे चुके हैं, जहाँ उनके काम की काफी सराहना हुई थी. दिनेश राय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के अत्यंत विश्वासपात्र अधिकारियों में माने जाते रहे हैं. उन्होंने लंबे समय तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निजी सचिव के रूप में भी काम किया है, जिससे उनकी प्रशासनिक पकड़ और राजनीतिक समझ का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. 
सचिवालय में तैनाती के दौरान हाल के दिनों में करगहर विधानसभा क्षेत्र में उनके भव्य स्वागत समारोह ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी. स्थानीय लोगों के ज़बरदस्त समर्थन और जनसमूह ने यह संकेत देना शुरू कर दिया था कि दिनेश कुमार राय अब प्रशासनिक सेवा से आगे बढ़कर जनसेवा की राह पर चलने के लिए तैयार हैं. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, दिनेश राय प्रशासनिक सेवा के दौरान भी आम जनता से लगातार जुड़े रहे हैं. चाहे वह बेतिया में बाढ़ राहत कार्यों की निगरानी हो या भूमि विवादों का त्वरित समाधान, उनका कार्यशैली आम आदमी के हित में केंद्रित रही है. 
यही वजह है कि वे अपनी जन्मभूमि और कर्मभूमि के लिए कुछ विशेष करना चाहते हैं. वीआरएस के इस फैसले ने इस बात को और बल दिया है कि वे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में करगहर से बतौर प्रत्याशी उतर सकते हैं. हालांकि, उन्होंने अब तक औपचारिक रूप से अपनी राजनीतिक पारी की घोषणा नहीं की है, लेकिन उनके करीबी लोगों का मानना है कि आने वाले दिनों में वे किसी बड़े दल, संभावतः जनता दल (यूनाइटेड) या किसी अन्य गठबंधन के साथ सक्रिय राजनीति में कदम रख सकते हैं. बिहार की राजनीति में पहले से ही हलचल मची हुई है, और ऐसे में नीतीश कुमार के भरोसेमंद अधिकारी का इस तरह वीआरएस लेना कई राजनीतिक संकेत दे रहा है.
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