बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी अब कॉलेज में पढ़ाएंगे राजनीति विज्ञान, सहायक प्रोफेसर में हुआ चयन

बिहार सरकार में ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वस्त सहयोगी माने जाने वाले अशोक चौधरी ने अब शैक्षणिक क्षेत्र में कदम रख दिया है। उन्होंने बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग (BSUSC) द्वारा वर्ष 2020 में आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती परीक्षा में पॉलिटिकल साइंस विषय से सफलता प्राप्त की है। एससी श्रेणी से चयनित अशोक चौधरी अब विश्वविद्यालय में राजनीति शास्त्र के छात्रों को पढ़ाएंगे। इस बात की पुष्टि उनकी बेटी और समस्तीपुर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की सांसद शांभवी चौधरी ने की है।
2020 की भर्ती प्रक्रिया में हुआ चयन
बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने 2020 में कुल 52 विषयों के लिए 4,638 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की वैकेंसी जारी की थी। इनमें पॉलिटिकल साइंस के लिए 280 पद निर्धारित थे। 275 अभ्यर्थियों का अंतिम रूप से चयन किया गया, जिनमें अशोक चौधरी का नाम भी शामिल है। हाल ही में इंटरव्यू प्रक्रिया पूरी होने के बाद आयोग ने इसका परिणाम जारी किया।

राजनीतिक जीवन से शिक्षा तक का सफर
57 वर्षीय अशोक चौधरी का जन्म 25 फरवरी 1968 को शेखपुरा जिले के बरबीघा में हुआ था। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी और वर्ष 2000 में पहली बार विधायक बने। बाद में 2013 में वे बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 2018 में वे जेडीयू में शामिल हो गए और नीतीश कुमार के करीबी माने जाने लगे। वे शिक्षा विभाग और भवन निर्माण विभाग के मंत्री भी रह चुके हैं और इस समय ग्रामीण कार्य विभाग का प्रभार संभाल रहे हैं।
राजनीति में परिवार की गहरी पैठ
अशोक चौधरी के परिवार का राजनीति से पुराना नाता है। उनके पिता स्वर्गीय महावीर चौधरी भी कांग्रेस में विधायक और मंत्री रह चुके हैं। अब उनकी बेटी शांभवी चौधरी संसद में अपनी भूमिका निभा रही हैं। हाल ही में उन्होंने ही अपने पिता के प्रोफेसर पद पर चयन की जानकारी दी।
विवादों में भी रहे सुर्खियों में
नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाने के बावजूद अशोक चौधरी कई बार विवादों में भी घिरते रहे हैं। कभी जेडीयू नेता ललन सिंह से टकराव, तो कभी चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा बेटी के लिए टिकट खरीदने के आरोप को लेकर वे चर्चा में रहे। इस मामले को लेकर उन्होंने कोर्ट में मानहानि का मामला भी दर्ज कराया है। उनके दामाद सायन कुणाल को राज्य धार्मिक न्यास परिषद का सदस्य बनाए जाने पर तेजस्वी यादव ने परिवारवाद का मुद्दा उठाकर उन्हें निशाने पर लिया।