CM नीतीश ने किया कच्ची दरगाह-बिदुपुर पुल का उद्घाटन, अब 5 मिनट में तय होगा पटना से राघोपुर का सफर

76 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार राघोपुर को राजधानी पटना से स्थायी सड़क संपर्क मिल गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कच्ची दरगाह-बिदुपुर 6 लेन पुल के पहले चरण का लोकार्पण किया, जिससे राघोपुर दियारा के निवासियों को बड़ी राहत मिली है। यह पुल गंगा नदी पर पटना का तीसरा पुल है, जो अब लोगों को केवल 5 मिनट में राघोपुर से पटना पहुंचने की सुविधा देगा।
राघोपुर के लोगों को नाव और पीपा पुल से मिली मुक्ति
अब तक राघोपुर के निवासी नावों या मानसून में बनाए गए अस्थायी पीपा पुल के माध्यम से राजधानी तक पहुंचते थे। हर साल बरसात में पीपा पुल हट जाने के कारण यह इलाका बाकी राज्य से कट जाता था, जिससे जनजीवन प्रभावित होता था। लेकिन इस नए स्थायी पुल की मदद से सालभर निर्बाध आवागमन संभव हो पाएगा, जिससे बाढ़ के समय राहत पहुंचाने में भी आसानी होगी।

पथ निर्माण मंत्री नितिन नबीन ने बताया कि यह पुल राघोपुर को पहली बार सालभर राजधानी पटना से जोड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अब सड़क मार्ग से सीधा जुड़ गया है, जिससे न केवल आवागमन सुलभ हुआ है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी आएगी।
19 किमी लंबा, अत्याधुनिक तकनीक से निर्मित पुल
यह परियोजना कुल 19 किलोमीटर लंबी है, जिसमें 9.76 किलोमीटर हिस्सा गंगा नदी पर बना एक्स्ट्रा डोज्ड केबल स्टे ब्रिज है। इसकी चौड़ाई 32 मीटर है और इसे 100 किमी प्रति घंटे की गति के हिसाब से डिज़ाइन किया गया है। इस निर्माण में एशियन डेवलपमेंट बैंक से 3,000 करोड़ रुपये का ऋण और राज्य सरकार द्वारा करीब 2,000 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जा रही है।
विशेष तकनीक वाला ब्रिज, मजबूत और आधुनिक
एक्स्ट्रा डोज्ड केबल ब्रिज की खासियत यह है कि इसके केबल्स को सीधे टावर से जोड़ने की बजाय डेक के नीचे विशेष तकनीक से जोड़ा गया है, जिससे इसकी मजबूती और टिकाऊपन काफी बढ़ गया है। देश में इस तकनीक से बने पुलों की संख्या बेहद सीमित है, जिससे यह पुल एक इंजीनियरिंग उपलब्धि भी बन गया है।
गांधी सेतु को मिलेगा राहत, संपर्क होगा तेज
इस पुल के चालू हो जाने से महात्मा गांधी सेतु पर ट्रैफिक का दबाव काफी घटेगा। साथ ही पटना, राघोपुर और बिदुपुर के बीच तेज, व्यवस्थित और सुविधाजनक सड़क संपर्क स्थापित होगा। मंत्री ने कहा कि सरकार की योजना 2027 तक राज्य के किसी भी कोने से पटना को सिर्फ साढ़े तीन घंटे में जोड़ने की है और यह पुल उस दिशा में एक अहम कदम है।