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बिहार चुनाव से पहले मतदाता सूची की गहन जांच की योजना, घर-घर जाकर किया जाएगा मतदाताओं का सत्यापन

बिहार में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) मतदाता सूची को शुद्ध और सटीक बनाने के लिए विशेष तैयारी कर रहा है। आयोग घर-घर जाकर गहन सत्यापन अभियान चलाने पर गंभीरता से विचार कर रहा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल योग्य और वास्तविक नागरिक ही मतदाता सूची में दर्ज हों।

चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों से मतदाता सूची में नाम जोड़ने या हटाने को लेकर कई सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों और विभिन्न एजेंसियों ने चिंताएं जताई हैं। इन संगठनों ने मतदाता सूची की पारदर्शिता और प्रामाणिकता को लेकर सवाल उठाए हैं। आयोग का कहना है कि वह अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है और मतदाता सूची में केवल वास्तविक मतदाताओं के नाम शामिल करने के अपने दायित्व को गंभीरता से निभा रहा है। आयोग प्रतिवर्ष मतदाता सूची का नियमित संशोधन करता है और चुनाव या उपचुनाव से पहले भी यह प्रक्रिया अपनाई जाती है।

क्यों जरूरी है मतदाता सूची का निरंतर अद्यतन?
चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को नियमित रूप से अपडेट करने की आवश्यकता के पीछे कई प्रमुख कारण बताए हैं। देश में रोजगार, शिक्षा, विवाह और अन्य पारिवारिक कारणों से लोगों का एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण होता रहता है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2024 में करीब 46.26 लाख लोगों ने निवास परिवर्तन किया, 2.32 करोड़ लोगों ने अपने विवरणों में सुधार के लिए आवेदन दिए और 33.16 लाख मतदाताओं ने प्रतिस्थापन की मांग की। कुल मिलाकर, देशभर में लगभग 3.15 करोड़ मतदाताओं को किसी न किसी प्रकार के बदलाव की आवश्यकता पड़ी।

इसके अलावा, मृत मतदाताओं के नाम सूची से हटाने की प्रक्रिया में भी अड़चन आती है क्योंकि आमतौर पर परिजन इस प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाते। इसके कारण सूची में मृत व्यक्तियों के नाम भी बने रहते हैं।

युवाओं और प्रवासियों पर भी विशेष ध्यान
चुनाव आयोग युवाओं को सूची में शामिल करने, मतदाताओं की व्यक्तिगत जानकारी में सुधार, मतदान केंद्रों की तर्कसंगत पुनर्संरचना और अवैध विदेशी नागरिकों की पहचान जैसे कार्यों पर भी लगातार कार्य कर रहा है। हाल ही में आयोग ने यह भी निर्देश जारी किया है कि कोई भी मतदाता अपने मतदान केंद्र तक पहुंचने के लिए 2 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय न करे।

पारदर्शिता और राजनीतिक भागीदारी
मतदाता सूची के अद्यतन की पूरी प्रक्रिया नियमों, कानूनों और आयोग द्वारा जारी दिशानिर्देशों के तहत संचालित होती है। अंतिम सूची जारी होने से पहले सभी राजनीतिक दलों को आपत्ति और सुझाव देने का पूरा अवसर दिया जाता है। इसके बावजूद आयोग पर कभी-कभी सूची में मनमानी बढ़ोतरी के आरोप लगाए जाते हैं, जबकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी ढंग से और राजनीतिक दलों की निगरानी में होती है।

सूत्रों के अनुसार, मतदाता सूची को त्रुटिहीन और भरोसेमंद बनाने के उद्देश्य से बिहार चुनाव से पहले एक बार फिर से घर-घर जाकर जांच का विचार किया गया है। ऐसा व्यापक सत्यापन अभियान इससे पहले वर्ष 2004 में किया गया था।