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बिहार में अब भूमि सुधार को मिलेगी रफ्तार, AI करेगा कैथी लिपि का देवनागरी रूपांतरण

बिहार सरकार की महत्त्वाकांक्षी भूमि सर्वेक्षण योजना को अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की ताकत से नया आयाम मिलने जा रहा है। लंबे समय से कैथी लिपि में दर्ज पुराने भूमि अभिलेखों को पढ़ने में आ रही अड़चनों को दूर करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने एक ऐतिहासिक पहल की है। विभाग ने डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन के साथ सहमति-पत्र (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।

अब एआई आधारित तकनीक की मदद से कैथी लिपि में लिखे गए पुराने दस्तावेजों को देवनागरी लिपि में रूपांतरित किया जाएगा। यह प्रक्रिया न केवल जमीन से जुड़े अभिलेखों को समझने और उपयोग में लाने में सहायक होगी, बल्कि ऐतिहासिक दस्तावेजों के संरक्षण की दिशा में भी एक ठोस कदम साबित होगी।

पुरानी लिपि, नई चुनौती:
राज्य के अधिकांश पुराने कैडस्ट्रल और पुनरीक्षण सर्वे दस्तावेज कैथी लिपि में हैं। इस लिपि को पढ़ने के विशेषज्ञ कम हैं, जिससे विभाग को कार्य निष्पादन में बाधा झेलनी पड़ रही थी। सेवा निवृत्त कर्मियों पर निर्भरता और विशेषज्ञों की भारी कमी के चलते प्रक्रिया अत्यंत धीमी हो गई थी।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने बताया कि “AI तकनीक के माध्यम से लिप्यंतरण कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। इससे दस्तावेजों की सटीकता बनी रहेगी और समय की बचत भी होगी।”

यह MoU बिहार सरकार और डिजिटल इंडिया भाषिणी डिवीजन (DIBD) के बीच हुआ है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन कार्य करता है। इस अवसर पर मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा, DIBD के सीईओ अमिताभ नाग, और विभाग के सचिव जय सिंह उपस्थित रहे।

तकनीक और परंपरा का संगम:
मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा ने इसे “तकनीक और परंपरा को जोड़ने वाला ऐतिहासिक कदम” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पहल न केवल भूमि सुधार के लिए, बल्कि अन्य विभागों — जैसे शिक्षा, समाज कल्याण, पर्यटन — में भी उपयोगी सिद्ध होगी। उन्होंने आगे पाली लिपि के डिजिटल अनुवाद की दिशा में भी प्रयास आरंभ करने की बात कही, और इसके लिए बिहार विशेष हैकथॉन आयोजित करने के निर्देश दिए।

DIBD के सीईओ अमिताभ नाग ने कहा, “भाषा कभी बाधा नहीं होनी चाहिए। यह तकनीक न केवल ऐतिहासिक ज्ञान को संरक्षित करेगी, बल्कि आम लोगों की पहुंच को भी सरल बनाएगी।”