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पटना मेयर का बेटा लापता, पुलिस करेगी हथियार लाइसेंस रद्द, छापेमारी तेज़

पटना में एक बार फिर सत्ता से जुड़े परिवार के सदस्य पर पुलिस का शिकंजा कसता नजर आ रहा है। यह मामला नगर निगम की मेयर सीता साहू के पुत्र शिशिर कुमार साह से जुड़ा है, जो इस समय फरार चल रहा है और आशंका है कि वह बिहार से बाहर निकल चुका है। लगातार की जा रही पुलिसिया छापेमारी और तेज़ कार्रवाई ने इस प्रकरण को सुर्खियों में ला दिया है।

मेयर आवास पर अचानक पहुंची पुलिस, समर्थकों से झड़प
हाल ही में पटना पुलिस ने सीता साहू के आधिकारिक आवास पर शिशिर की तलाश में दबिश दी। पुलिस की यह कार्रवाई अचानक हुई, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। जैसे ही पुलिस टीम मेयर आवास पर पहुंची, वहां समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हो गई। बताया जा रहा है कि इस दौरान पुलिस और मेयर समर्थकों के बीच झड़प की स्थिति बन गई, जिसमें हल्की धक्का-मुक्की भी हुई। माहौल तनावपूर्ण हो गया, लेकिन पुलिस ने स्थिति को संभालते हुए सर्च ऑपरेशन जारी रखा। हालांकि, शिशिर वहां नहीं मिला।

बिहार से बाहर भागने की आशंका, पुलिस की छापेमारी जारी
पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) कार्तिकेय शर्मा ने बताया कि शिशिर कुमार के बिहार छोड़ने की संभावना है और उसे पकड़ने के लिए जगह-जगह छापेमारी की जा रही है। पुलिस इस पूरे मामले को गंभीरता से ले रही है और कोई ढील नहीं बरती जा रही। साथ ही शिशिर और उसके निजी अंगरक्षक द्वारा रखे गए हथियारों की वैधता की भी गहन जांच हो रही है। एसएसपी ने बताया कि दोनों के हथियार लाइसेंस की समीक्षा के बाद उन्हें रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

कानून के सामने सब बराबर
इस मामले में पुलिस की सख्त कार्रवाई यह संकेत देती है कि अब कानून का शिकंजा किसी रसूखदार को भी नहीं छोड़ेगा। पहले जहां राजनीतिक प्रभाव के चलते ऐसे मामलों में कार्रवाई धीमी या टाल दी जाती थी, वहीं अब पुलिस अधिक जिम्मेदारी और निष्पक्षता के साथ कदम उठा रही है।

एसएसपी शर्मा के मुताबिक, यदि जांच में शिशिर कुमार दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस इस प्रकरण के हर पहलू को ध्यान से जांच रही है — चाहे वह फरारी हो, हथियारों का अवैध उपयोग या किसी भी तरह की कानूनी अनियमितता।

निष्पक्ष जांच का संदेश
शिशिर की फरारी, हथियार लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया और पुलिस द्वारा जारी सघन छापेमारी यह दर्शाते हैं कि इस बार कोई समझौता नहीं किया जा रहा है। यह मामला न सिर्फ कानून की गंभीरता को दिखाता है, बल्कि समाज को यह स्पष्ट संदेश देता है कि अपराध और अपराधी चाहे किसी भी ओहदे या राजनीतिक परिवार से संबंध रखते हों, कानून के शिकंजे से नहीं बच सकते।