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दरभंगा के तौसीफ ने किया कमाल, कबाड़ से ही बना डाला ऑटोमैटिक सैनिटाइजर मशीन

दरभंगा के जाले ब्लॉक के रेवढ़ा गांव के रहने वाले इंजीनियर मो. तौसीफ ने अपने गांव को कोरोना मुक्त रखने के लिए एक ऑटोमेटिक सैनिटाइजर मशीन बनायी है. लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़ अपने गांव लौटे तौसीफ ने इस मशीन को बनाने के लिए कबाड़ के सामान का यूज किया है. महज 800 रुपये… Read More »दरभंगा के तौसीफ ने किया कमाल, कबाड़ से ही बना डाला ऑटोमैटिक सैनिटाइजर मशीन
 

दरभंगा के जाले ब्लॉक के रेवढ़ा गांव के रहने वाले इंजीनियर मो. तौसीफ ने अपने गांव को कोरोना मुक्त रखने के लिए एक ऑटोमेटिक सैनिटाइजर मशीन बनायी है. लाखों के पैकेज वाली नौकरी छोड़ अपने गांव लौटे तौसीफ ने इस मशीन को बनाने के लिए कबाड़ के सामान का यूज किया है.

महज 800 रुपये की लागत से तौसीफ ने कोरोना से बचाने वाली मशीन बना दी. तौसीफ ने इस मशीन को उसी रेवढ़ा मिडिल स्कूल में बने क्वॉरेंटाइन सेंटर पर लगाया गया है, जहां से उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा हासिल की थी. इस मशीन से क्वॉरेंटाइन सेंटर पर रह रहे मजदूरों को काफी राहत मिल रही है.
तौसीफ ने ओडिशा के एक कॉलेज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है और कुछ दिनों पहले तक महाराष्ट्र की एक पाइप कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के तौर पर काम कर रहे थे. कोरोना की एंट्री होते ही, वो अपने गांव चले आए और कोरोना प्रभावित लोगों की मदद के बारे में सोचने लगे. तौसीफ बताते हैं कि उन्हें ये सैनिटाइजर मशीन बनाने में काफी दिक्कतें आईं, जो सामान उन्हें चाहिए था.वह दुकानें बंद होने की वजह से नहीं मिला. लेकिन वे निराश नहीं हुए.क्वॉरेंटाइन सेंटर पर लगायी मशीनक्वॉरेंटाइन सेंटर पर लगायी मशीन सिर्फ 12 वोल्ट से चलती है मशीन
तौसीफ ने महज 800 रुपये में ये मशीन बना डाली. अब वे ऐसी और मशीनें बना कर दूसरे क्वॉरेंटाइन सेंटर और अस्पतालों में देना चाहते हैं, ताकि कोरोना का मुकाबला किया जा सके. तौसीफ ने बताया कि ये मशीन बेहद कम बिजली खर्च करती हैं. इसे बिजली के अलावा डीसी बैट्री और सोलर प्लेट से भी चलाया जा सकता है. ये मशीन फुली ऑटोमेटिक है. इसके सेंसर खुद-ब-खुद मशीन को जरूरत के अनुसार स्टार्ट और फिर बंद कर सकते हैं.
तौसीफ की इस उपलब्धि पर गांव के मो. फहद, मो. तौकीर आलम, मो. सैफ जीशान आदि बेहद खुश हैं. रेवढ़ा मिडिल स्कूल के हेडमास्टर और तौसीफ के बड़े भाई मो. खालिद जौहर ने कहा कि तौसीफ बचपन से ही पढ़ने में बहुत तेज थे. आज उन्होंने कबाड़ से बेहद काम की और सस्ती सैनिटाइजर मशीन बना कर इस स्कूल के क्वॉरेंटाइन सेंटर पर लगाया है.