वनरक्षक पद पर नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी, रांची मुख्यालय तक जुड़े हैं भ्रष्टाचार के तार
चतरा वन विभाग में वनरक्षक पद पर भर्ती के नाम पर करोड़ों की ठगी का सनसनीखेज मामला सामने आया है। वन विभाग के कर्मचारी अवधेश तिवारी पर 17 युवकों से 7-7 लाख रुपये ठगने का आरोप है। बताया जा रहा है कि अवधेश तिवारी ने इन युवकों को फर्जी आईडी कार्ड, ट्रेनिंग और आईएफएस साकिब आलम से मुलाकात के जरिए नौकरी दिलाने का भरोसा दिलाया था।
पीड़ितों का कहना है कि अवधेश तिवारी ने उन्हें सिमरिया रेस्ट हाउस ले जाकर आईएफएस साकिब आलम से मिलवाया। वहां वनरक्षक पद के लिए फॉर्म भरवाया गया और चतरा वन विभाग में रिपोर्टिंग भी करवाई गई। इस दौरान युवाओं को वर्दी पहनाकर जंगल में फर्जी ट्रेनिंग दी गई। ट्रेनिंग के दौरान पेड़-पौधों के बारे में जानकारी दी जाती थी और दौड़ भी करवाई जाती थी। अवधेश तिवारी ने नौकरी का भरोसा दिलाने के लिए खुद का आईडी कार्ड भी दिखाया और कहा कि उनकी नौकरी पक्की हो जाएगी। इसके बाद सभी युवकों से महेश भुइयां नामक व्यक्ति के खाते में पैसे जमा करवाए गए। कुछ पैसों का लेन-देन साईं होटल में कैश के रूप में भी हुआ।
रांची में फर्जी दस्तावेज सत्यापन
रांची वन विभाग मुख्यालय में पीड़ित युवकों के दस्तावेजों का फर्जी सत्यापन भी करवाया गया, जिसके बाद उनके खातों में ट्रैवल एलॉन्स के नाम पर 1430 रुपये भेजे गए। सभी युवाओं को ट्रेनिंग के बाद घर भेज दिया गया और कहा गया कि पोस्टिंग लेटर उनके घर भेजा जाएगा, लेकिन जब पोस्टिंग लेटर नहीं आया और संपर्क करने की कोशिश की गई तो अवधेश तिवारी का मोबाइल बंद हो गया। जब युवकों ने अवधेश तिवारी से संपर्क कर अपने पैसे लौटाने की मांग की तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई। इस घटना की शिकायत पुलिस से की गई, लेकिन एक महीने बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई। पीड़ित लगातार थाने के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है।
वहीं दूसरी तरफ आरोपी अवधेश तिवारी ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि पीड़ित युवक यह साबित करें कि उनकी ट्रेनिंग कहां हुई और पैसे कहां लिए गए। तिवारी का कहना है कि वो खुद भी ठगी का शिकार हुए हैं और इस मामले में उनकी संलिप्तता सिर्फ इतनी है कि उन्होंने भी उस व्यक्ति को पैसे दिए थे जिससे पीड़ित युवकों ने पैसे दिए थे।