रांची में पहली बार गूंजेगा सूर्यकिरण का गर्जन, आसमान में दिखेगा जांबाज़ पायलटों का हैरतअंगेज़ करतब

रांचीवासियों के लिए यह एक रोमांचकारी अवसर होने वाला है, जब 19 और 20 अप्रैल को नामकुम आर्मी ग्राउंड में पहली बार वायुसेना की प्रसिद्ध 'सूर्यकिरण एयरोबेटिक टीम' का शानदार एयर शो आयोजित किया जाएगा। सुबह 9:45 से 10:45 बजे तक चलने वाले इस कार्यक्रम में कोई भी नागरिक निःशुल्क प्रवेश कर सकता है। इससे पहले 17 अप्रैल को इसका पूर्वाभ्यास किया जाएगा।
9 हॉक एमके-132 विमानों से होगा रोमांच का प्रदर्शन
सूर्यकिरण टीम में शामिल 9 हॉक एमके-132 विमान, जो एचएएल द्वारा भारत में बनाए गए हैं, बेहद कम दूरी पर उड़ते हुए आकाश में अद्भुत समन्वय और साहसिकता का प्रदर्शन करेंगे। इस टीम में कुल 14 कुशल पायलट हैं, जिनमें ग्रुप कैप्टन अजय दसरथी टीम का नेतृत्व कर रहे हैं और डिप्टी लीडर ग्रुप कैप्टन सिद्धेश कार्तिक हैं।

टीम के अन्य सदस्य हैं: स्क्वाड्रन लीडर जसदीप सिंह, हिमखुश चंदेल, अंकित वशिष्ठ, विष्णु, दिवाकर शर्मा, गौरव पटेल, एडवर्ड प्रिंस, ललित वर्मा, और विंग कमांडर राजेश काजला, अर्जुन पटेल, कुलदीप हुड्डा तथा एलन जॉर्ज। यह टीम अब तक 70 से अधिक शहरों में 500 से ज्यादा बार अपने हुनर का प्रदर्शन कर चुकी है।
सूर्यकिरण: भारतीय वायुसेना की शान
वर्ष 1996 में अस्तित्व में आई सूर्यकिरण टीम, भारतीय वायुसेना की 52वीं स्क्वाड्रन का हिस्सा है। यह टीम देश-विदेश में अपने करतबों से भारतीय वायुसेना की प्रतिष्ठा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रही है। टीम में 13 पायलट होते हैं, जिनमें से 9 एकसाथ उड़ान भरते हैं। केवल अत्यधिक अनुभवी फाइटर पायलटों को ही इस टीम में स्थान मिलता है।
इस टीम में पायलटों के अलावा फ्लाइट कमांडर, प्रशासनिक अधिकारी और एक योग्य उड़ान प्रशिक्षक भी शामिल होते हैं। सूर्यकिरण टीम वर्तमान में कर्नाटक के बीदर एयर फोर्स स्टेशन पर स्थित है। इसका पहला सार्वजनिक प्रदर्शन 15 सितंबर 1996 को कोयंबटूर में आयोजित हुआ था।
एयर शो को दो हिस्सों में प्रस्तुत किया जाता है। पहले भाग में सभी विमान सामूहिक फॉर्मेशन में उड़ते हैं, जबकि दूसरे भाग में वे अलग-अलग समूह बनाकर रोमांचक हवाई करतब दिखाते हैं। इन विमानों की गति 150 से 650 किमी प्रति घंटा तक होती है।
टीम की स्थापना का मुख्य मकसद था –
-देश-दुनिया में एयर शो के माध्यम से भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को प्रदर्शित करना।
-नए पायलटों को प्रशिक्षण देना।
1990 में इसे स्वदेशी किरण एयरक्राफ्ट प्राप्त हुए। 2011 तक यह टीम HAL HJT-16 किरण और Mk-2 विमानों के साथ प्रदर्शन करती रही, लेकिन 2011 में इसे अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। जिसके बाद 2017 में इस टीम को दोबारा सक्रिय किया गया और इसमें हॉक एमके-132 जैसे अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट को शामिल किया गया। अब यह टीम सालभर में करीब 30 शो करती है।
बताते चलें कि सूर्यकिरण टीम ने कोलंबो (2001), सिंगापुर (2004), मलेशिया और थाईलैंड (2007) जैसे देशों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। 2008 में चीन के झुहाई एयर शो में भी इस टीम ने देश का प्रतिनिधित्व किया और वापसी में लाओस में भी प्रदर्शन किया।