झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाला मामले में सुनवाई पूरी, हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्ति गड़बड़ी के मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में पूरी हो चुकी है। हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है और दोनों पक्षों को शनिवार तक लिखित बहस प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने कोर्ट को बताया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट कानूनी रूप से सही नहीं मानी जा सकती। यह रिपोर्ट सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जानी चाहिए थी, लेकिन इसे सीधे राज्यपाल को दे दिया गया। राज्यपाल ने रिपोर्ट को सरकार को नहीं दिया, जिससे यह विधानसभा के पटल पर छह माह के भीतर नहीं रखी जा सकी।
महाधिवक्ता ने यह भी बताया कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट में कई त्रुटियां थीं और कई अनुशंसाएं अस्पष्ट थीं। इन त्रुटियों को देखते हुए जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता में एक नई कमीशन बनाई गई। जस्टिस एसजे मुखोपाध्याय की रिपोर्ट को राज्य सरकार ने स्वीकार कर लिया और इसे विधानसभा के पटल पर भी रखा गया। यह रिपोर्ट अब फाइनल रिपोर्ट मानी जा रही है।

प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट को बताया कि झारखंड विधानसभा के वर्तमान स्पीकर विधानसभा कमेटी के सदस्य थे, जिन्होंने नियुक्ति गड़बड़ी की जांच रिपोर्ट दी थी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार और झारखंड विधानसभा से पूछा था कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट में क्या त्रुटियां थीं, जिसके कारण दूसरा आयोग बनाना पड़ा। बुधवार की सुनवाई में इन त्रुटियों को शपथ पत्र के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
साल 2005 से 2007 के बीच विधानसभा में कई पदों के लिए नियुक्तियां हुई थीं, जिसमें गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद सरकार ने जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपी थी। राज्यपाल ने विधानसभा को कार्रवाई करने का आदेश दिया था, लेकिन विधानसभा ने कार्रवाई नहीं की। इसके खिलाफ शिव शंकर शर्मा ने झारखंड हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी।