झारखंड में शिक्षकों की भारी कमी पर हाईकोर्ट सख्त, JSSC से मांगा जवाब

झारखंड में शिक्षकों की भारी कमी को लेकर झारखंड उच्च न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) के अध्यक्ष को निर्देश दिया है कि वे 26,000 स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया की शुरुआत और समाप्ति की स्पष्ट जानकारी दें।
जनहित याचिका से उठा मुद्दा
यह मामला एक जनहित याचिका के सिलसिले में सामने आया, जो पिछले वर्ष दायर की गई थी। याचिका में राज्य में शिक्षकों की भारी कमी का मुद्दा प्रमुखता से उठाया गया था। शिक्षा से जुड़ी एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (UDISE) के आंकड़े बताते हैं कि झारखंड देश के उन राज्यों में है, जहां सबसे अधिक शिक्षक नहीं हैं। खासतौर पर सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में स्थिति बेहद चिंताजनक है—30% से ज्यादा स्कूलों में केवल एक शिक्षक के भरोसे शिक्षा व्यवस्था चल रही है।
कानून की अनदेखी
‘निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009’ के अनुसार हर स्कूल में कम से कम दो शिक्षक और प्रत्येक 30 छात्रों पर एक शिक्षक होना चाहिए। लेकिन झारखंड के अधिकांश प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय इस आधारभूत आवश्यकता को भी पूरा नहीं कर पा रहे। स्थिति तब से और बदतर होती गई जब 2016 के बाद किसी भी नए शिक्षक की बहाली नहीं की गई।

सरकार का हलफनामा, लेकिन समय सीमा का अभाव
इस याचिका के जवाब में राज्य सरकार ने 2 अप्रैल 2025 को एक हलफनामा कोर्ट में दाखिल किया। इसमें याचिकाकर्ता द्वारा बताए गए तथ्यों को खारिज नहीं किया गया। सरकार ने सिर्फ यह भरोसा दिलाया कि 26,000 शिक्षकों की बहाली “पारदर्शिता, निष्पक्षता और समयबद्धता” के साथ की जाएगी, मगर इस प्रक्रिया को पूरा करने की कोई निश्चित समय-सीमा नहीं बताई गई।
न्यायालय की निगरानी में बहाली प्रक्रिया
अब अदालत की निगरानी में इस बहाली प्रक्रिया की निगरानी होगी, जिससे शिक्षकों की किल्लत से जूझ रहे विद्यालयों को राहत मिल सके। न्यायालय का यह हस्तक्षेप शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।