झामुमो का केंद्र पर तीखा वार: महाधिवेशन में रखे 16 बड़े राजनीतिक प्रस्ताव, परिसीमन और आरक्षण पर दो टूक
Apr 15, 2025, 12:20 IST

रांची में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के 13वें केंद्रीय महाधिवेशन के पहले दिन पार्टी ने केंद्र सरकार के खिलाफ बड़ा सियासी हमला बोला है। वरिष्ठ नेता स्टीफन मरांडी द्वारा पेश 16 सूत्रीय राजनीतिक प्रस्ताव में रोजगार, जमीन वापसी, आरक्षण और आदिवासी अधिकारों को लेकर कई अहम मांगें की गई हैं।
परिसीमन पर जताई कड़ी आपत्ति
झामुमो ने प्रस्ताव में स्पष्ट किया कि पार्टी राज्य में किसी भी तरह के परिसीमन की प्रक्रिया का कड़ा विरोध करेगी। प्रस्ताव में कहा गया है कि मौजूदा परिसीमन संविधान के अनुच्छेद 80 और 81 का उल्लंघन करता है, जिससे अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन हो रहा है।
स्थानीय लोगों को 100% नौकरी आरक्षित करने की मांग
झामुमो ने जिला स्तर पर थर्ड और फोर्थ ग्रेड की सरकारी नौकरियों में स्थायी निवासियों के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण की मांग की है। आउटसोर्सिंग व्यवस्था में भी स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने और राज्य भर की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित करने की बात कही गई है।

आदिवासी-मूलवासी अधिकारों पर ज़ोर
पार्टी ने राज्य में आदिवासियों और मूलवासियों को स्थायी जमीन का मालिकाना हक देने, सीएनटी-एसपीटी एक्ट में किसी भी तरह की छेड़छाड़ रोकने के लिए मजबूत कानून बनाने और भू-वापसी आयोग गठित करने की मांग की है। साथ ही जंगलों में रह रहे समुदायों को कृषि और आवास के लिए स्थायी पट्टा और वनोपज पर अधिकार देने पर बल दिया गया है।
सरना धर्म कोड और आरक्षण की सीमा बढ़ाने की मांग
राजनीतिक प्रस्ताव में झामुमो ने केंद्र सरकार से जनगणना में सरना धर्म कोड को मान्यता देने और जातीय जनगणना कराने की मांग दोहराई है। साथ ही पार्टी ने यह स्पष्ट किया कि झारखंड को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल कर एसटी को 28%, एससी को 14% और ओबीसी को 27% आरक्षण देने की व्यवस्था की जाए।
झामुमो ने केंद्र से इन सभी मांगों को लागू करने के लिए राज्य को संवैधानिक सुरक्षा देने की भी अपील की है।