धनवार विधानसभा सीट से निरंजन राय ने दाखिल किया नामांकन, बाबूलाल मरांडी से होगी सीधी टक्कर

धनवार क्षेत्र के चर्चित ठेकेदार और समाजसेवी निरंजन राय ने सोमवार को चुनावी मैदान में उतरकर नामांकन दाखिल कर दिया। उनकी उम्मीदवारी ने भाजपा में हलचल मचा दी, और पार्टी को नई रणनीति अपनाने पर मजबूर कर दिया। निरंजन राय के चुनाव लड़ने की घोषणा होते ही भाजपा सतर्क हो गई, क्योंकि उनके मैदान में उतरने से पार्टी प्रत्याशी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी की स्थिति कमजोर हो सकती है।
भाजपा के लिए एक चुनौती तब और खड़ी हो गई जब पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व सांसद रविंद्र राय को टिकट नहीं मिलने पर नाराजगी जताई। स्थिति को संभालने के लिए केंद्रीय मंत्री और चुनाव प्रभारी शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने खुद उनके घर जाकर उन्हें मना लिया। उन्हें प्रदेश भाजपा का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर संतुष्ट किया गया। एक राय माने, तो दूसरे निरंजन राय ने चुनौती पेश कर दी।

भाजपा ने निरंजन राय को चुनावी मैदान से हटाने की पूरी कोशिश की। इस कड़ी में प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी और सांसद निशिकांत दुबे सहित कई नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिश की, परन्तु निरंजन राय अपनी बात पर अड़े रहे। दुबे ने व्यक्तिगत रूप से उनके घर जाकर समझाने का प्रयास किया, पर निरंजन राय ने उन्हें हाथ जोड़कर मना कर दिया।
निरंजन राय भूमिहार जाति से ताल्लुक रखते हैं और उनके पास धनबल व जनबल दोनों हैं। धनवार में भूमिहार मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद होने के कारण, उनका चुनाव में बने रहना बाबूलाल मरांडी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, निरंजन राय को सत्ता पक्ष के शीर्ष नेताओं की विशेष रणनीति के तहत मैदान में उतारा गया है ताकि भाजपा को धनवार में चुनौती दी जा सके। वर्तमान सरकार से नजदीकी होने के कारण राय को कई बड़े ठेके मिले हैं, जिससे उनकी पकड़ क्षेत्र में मजबूत हुई है।
धनवार की सीट पर मुकाबला इसलिए भी दिलचस्प हो गया है क्योंकि माले और झामुमो ने भी अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं। माले से पूर्व विधायक राजकुमार यादव और झामुमो से निजामुद्दीन अंसारी चुनाव लड़ रहे हैं। बाबूलाल मरांडी के लिए यह एक राहत की बात है कि विपक्ष के अन्य उम्मीदवार भी वोटों में सेंधमारी कर सकते हैं।