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संथाल परगना अलग राज्य की मांग पर सियासी घमासान, प्रदीप यादव ने निशिकांत दुबे को घेरा

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को लोकसभा में झारखंड के संथाल परगना को अलग राज्य बनाने और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग उठाई। उनके इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव ने दुबे की इस मांग को तीखी आलोचना करते हुए भाजपा और आरएसएस की "विभाजनकारी राजनीति" करार दिया।

झारखंड के संघर्ष और बलिदान का अपमान
प्रदीप यादव ने कहा कि झारखंड का गठन लंबी लड़ाई और बलिदानों के बाद हुआ है। 20वीं सदी की शुरुआत से ही यहां आदिवासी और अन्य समुदाय अपने अधिकारों और पहचान के लिए संघर्षरत रहे हैं। भूमिज विद्रोह, कोल विद्रोह और 1938 में जयपाल सिंह मुंडा के नेतृत्व में झारखंड पार्टी की स्थापना जैसे आंदोलन इस संघर्ष की गवाही देते हैं। हजारों लोगों के बलिदान के बाद 2000 में झारखंड अलग राज्य बना। ऐसे में इसे बांटने की मांग करना शहीदों के बलिदान का अपमान है।

भाजपा पर राजनीतिक साजिश रचने का आरोप
प्रदीप यादव ने आरोप लगाया कि झारखंड की जनता ने भाजपा को सत्ता से बाहर कर दिया, इसलिए अब भाजपा नेता ऐसे हथकंडे अपना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा और आरएसएस राज्य की एकता को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन झारखंड के लोग इन प्रयासों को सफल नहीं होने देंगे। उन्होंने जनता से सतर्क रहने और इस "साजिश" का डटकर मुकाबला करने की अपील की।

क्या कहा था निशिकांत दुबे ने?
निशिकांत दुबे ने लोकसभा में संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि घुसपैठ की वजह से आदिवासी सीटों पर असर पड़ रहा है, इसलिए परिसीमन में इस क्षेत्र को अलग करना चाहिए। उन्होंने सरकार से संथाल परगना को अलग राज्य बनाने पर विचार करने और जरूरत पड़ने पर झारखंड में राष्ट्रपति शासन लागू करने का सुझाव दिया।