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रघुबर दास ने उठाये अबुआ सरकार की नीयत पर सवाल, कहा-पेसा से डर क्यों, जवाब दे हेमंत सरकार

 
पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व राज्यपाल रघुवर दास ने झारखंड सरकार पर एक बार फिर तीखा हमला बोला है। इस बार मुद्दा है पेसा (PESA) कानून का, जिसे लेकर उन्होंने बुधवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय, रांची में प्रेस वार्ता की। दास ने सवाल उठाया कि जब देश के अन्य राज्यों—जैसे मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में पेसा कानून लागू हो चुका है, तो झारखंड क्यों पीछे है? उन्होंने स्पष्ट कहा कि कानून का मसौदा तैयार हो चुका है, संबंधित विभागों और महाधिवक्ता की सहमति भी मिल चुकी है, तो फिर सरकार किस डर से इसे लागू नहीं कर रही?
रघुवर दास का आरोप है कि राज्य सरकार विदेशी धर्म मानने वालों के दबाव में पेसा कानून को ठंडे बस्ते में डाले हुए है। उन्होंने कहा, “क्या अबुआ सरकार आदिवासियों के अधिकारों से डरती है? क्या सरकार को डर है कि पेसा कानून से उसकी सत्ता की नींव हिल जाएगी?”
पेसा से आदिवासी स्वशासन होगा सशक्त
रघुवर दास ने याद दिलाया कि भगवान बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू और फूलो-झानो ने अपनी संस्कृति, परंपरा और पहचान के लिए बलिदान दिया था। पेसा कानून उसी विरासत को मजबूती देता है क्योंकि यह ग्राम सभा को खनिज संसाधनों पर अधिकार देता है—जैसे बालू, कोयला, पत्थर आदि। यह व्यवस्था संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत आदिवासी स्वशासन की भावना को मूर्त रूप देती है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ मंत्री और विधायक, जो सरकार में हैं, अपने निहित स्वार्थों के कारण पेसा कानून को लागू नहीं होने देना चाहते। दास के अनुसार, यदि ग्राम सभा को खनिज संसाधनों पर नियंत्रण मिल गया, तो सिंडिकेट और दलालों के मुनाफे पर सीधा असर पड़ेगा।
सरना धर्म कोड पर सरकार की मंशा पर भी सवाल
रघुवर दास ने सरना धर्म कोड को लेकर भी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के समय जन्म प्रमाण पत्र में धर्म कॉलम होता था, जिसे हेमंत सरकार ने 2019 में हटा दिया। उन्होंने कांग्रेस और झामुमो पर आरोप लगाया कि वे आदिवासी समाज को धर्म कोड के नाम पर गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने 60 वर्षों के शासन में धर्म कोड को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया।
भाजपा आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक नहीं मानती
दास ने साफ किया कि भाजपा की राजनीति तुष्टिकरण पर आधारित नहीं है। पार्टी आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक नहीं बल्कि इस देश की सांस्कृतिक और सामाजिक धरोहर का मजबूत स्तंभ मानती है।
प्रेस वार्ता के दौरान पूर्व सांसद सुदर्शन भगत, प्रदेश मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक, प्रवक्ता रमाकांत महतो और सह मीडिया प्रभारी अशोक बड़ाइक भी मौजूद थे, जिन्होंने रघुवर दास के बयानों का समर्थन किया।
क्या है पेसा कानून?
पेसा यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम 1996 का उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार देना है। यह कानून ग्राम सभा को खनिज, जल, वन जैसे संसाधनों पर निर्णय लेने का अधिकार देता है। झारखंड के 13 जिले इस कानून के दायरे में आते हैं, लेकिन राज्य सरकार ने अब तक इसे लागू नहीं किया है।