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Ranchi: मां के आंसुओं से पिघल गया पीएलएफआई का सुप्रीमो दुर्दांत दिनेश गोप

 

रांची: अभी पखवाड़ा भी नहीं बीता जब ढ़ाई दशक से झारखंड पुलिस के सिरदर्द बने दिनेश गोप के माता पिता को समझाने के लिए पुलिस वाले उसके घर घर पहुंचे थे। और दिनेश गोप के माता-पिता को समझाया था कि वह अपने बेटे को आत्मसमर्पण करने को कहे। पिता ने कहा दशक बीत गये, बेटे को देखे हुए। वहीं मां ने दिनेश के बड़े भाई सुरेश गोप की मौत का जिक्र करते हुए कहा था कि एक बेटे को खो चुकी हुं, दूसरे को नहीं खोना चाहती। मां का रूदन दिनेश के दिल को लग गया और वह झारखंड पुलिस के हत्थे चढ़ गया। बता दें कि 13 मई को इनामी दिनेश गोप के आत्मसमर्पण को लेकर उसके परिवार वालों पर दबाव बनाने के लिए दिनेश गोप के परिवार वालों के घर गयी थी और पिता कामेश्वर गोप व उसकी मां और बहनोई परमेश्वर यादव से मुलाकात की थी। वहीं पुलिस अधिकारियों ने दिनेश गोप के परिजनों को सरकार की आत्मसमर्पण नीति के बारे में बताया और मुख्यधारा से जुड़ने के लिए सरेंडर करने की अपील की भी थी। वहीं 30 लाख रूपये का इनामी कुख्यात नक्सली  और पीएलएफआई  सुप्रीमो दिनेश को गोप रविवार (21 मई) को दबोच लिया गया हैं। उसे नेपाल में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी(एनआईए) और झारखंड पुलिस के संयुक्त प्रयास से पकड़ा गया।

युवकों को मोबाइल और पैसे का लालच देकर बनाता था अपना मोहरा

बड़े भाई के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद दिनेश गोप फौज की नौकरी छोड़कर गांव आ गया। गांव आने के बाद उसने 2002 में झारखंड लिबरेशन टाइगर (जेएलटी) नामक एक उग्रवादी संगठन बनाया। इसके बाद उसने अपने संगठन में युवाओं को मोबाइल और पैसे का लालच देकर को जोड़ना शुरू किया। वह एक फौजी था, उसे हथियार चलाने का अच्छा अनुभव था। इसका उपयोग उसने युवाओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण देने में किया। इस तरह धीरे-धीरे अपने संगठन का विस्तार शुरू किया।

टूट चुकी है पीएलएफआई रीढ़

दिनेश गोप के लगातार सक्रिय प्रयासों से पीएलएफआई का आतंक खूंटी से शुरू होकर गुमला, सिमडेगा, चाईबासा, लोहरदगा सहित राजधानी तक भी पहुंच गया. आतंक ऐसा कि कोई भी कारोबारी हो या फिर ठेकेदार बिना इस संगठन को पैसे दिए इस इलाके में कोई भी काम नहीं कर सकता था. इस बीच दिनेश ने इस संगठन के लिए अकूत संपत्ति एकत्रित कर ली। इस क्रम में पुलिस के साथ मुठभेड़ में संगठन के कई बड़े और इनामी उग्रवादी मारे गए. लेकिन दिनेश बचता रहा था। पुलिस और NIA की टीम लगातार उसका पीछा कर रही थी, और आखिरकार NIA की टीम उस तक पहुंचने में कामयाब रही. जिसके बाद अब वह उसे लेकर रविवार को रांची पहुंच चुकी है, अब एनआईए की कोशिश उन चेहरों से पर्दा उठाने की है, अब पीएलएफआई रीढ़ टूट चुकी है।
 
मार्टिन केरकेट्टा या दुर्गा सिंह संभाल सकता हैं संगठन की कमान

वैसे तो दिनेश गोप के पकड़े जाने के बाद पीएलएफआई का अस्तित्व लगभग समाप्ति की ओर है। लेकिन, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दिनेश गोप के बाद दूसरा बड़ा नाम मार्टिन केरकेट्टा और दुर्गा सिंह संगठन की कमान संभाल सकता हैं। मार्टिन केरकेट्टा गुमला जिले के कामडारा थाना क्षेत्र के रेड़वा गांव का रहने वाला है। जबकि, दुर्गा सिंह रांची जिले के लापुंग थाना क्षेत्र के जरिया, जमाकेल गांव का रहने वाला है। ज्ञात हो कि दिनेश को मजबूती तब मिली थी जब भाकपा माओवादी के मसीह चरण पूर्ति ने दिनेश का दामन थाम लिया था।