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धनबाद में बालू संकट गहराया, निर्माण कार्य ठप, मजदूरों की रोजी-रोटी पर संकट

धनबाद जिले में बालू की भारी किल्लत के चलते सरकारी और निजी निर्माण कार्य पूरी तरह से बाधित हो गए हैं। बालू की आपूर्ति अचानक ठप हो जाने के कारण लोगों को निर्माण कार्य रोकने पर मजबूर होना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि कई स्थानों पर मजदूरों की आजीविका पर भी संकट मंडराने लगा है। हैरानी की बात यह है कि बालू उठाव पर रोक को लेकर प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया है। केवल इतना कहा जा रहा है कि "कुछ अज्ञात कारणों" से बालू की ढुलाई रुकी हुई है।

सभी घाटों पर बालू उठाव बंद, ग्रामीण योजनाओं पर असर
बराकर नदी के पांड्रा बेजरा घाट, जो पूर्वी टुंडी प्रखंड का प्रमुख वैध बालू स्रोत है, से भी फिलहाल बालू की ढुलाई रुकी हुई है। जिले के अन्य कई घाटों पर, जहां कभी अवैध रूप से बालू खनन होता था, वहां भी सन्नाटा पसरा हुआ है। चालान जारी करने की प्रक्रिया भी पूरी तरह ठप है। इस वजह से लोग या तो निर्माण रोक रहे हैं या फिर अत्यधिक कीमत पर बालू खरीदने को मजबूर हैं। इसका सबसे गहरा असर ग्रामीण इलाकों में चल रही 'अबुआ आवास' जैसी योजनाओं पर पड़ा है, जिनका काम रुक गया है।

बंगाल से आने वाले बालू पर भी पाबंदी
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पश्चिम बंगाल से बालू लाकर धनबाद में इस्तेमाल करने पर भी जिला प्रशासन ने रोक लगा दी है। बालू लदे ट्रकों को जिले की सीमा में प्रवेश की अनुमति नहीं मिल रही है। इसके चलते स्थानीय व्यवसायियों, ठेकेदारों और आम नागरिकों ने प्रशासन से बालू उठाव पर लगी रोक को हटाने और वैध घाटों की प्रक्रिया को पारदर्शी एवं तेज करने की मांग की है।

प्रशासन की सफाई
जिला खनन पदाधिकारी रितेश राज तिग्गा ने स्थिति को लेकर सफाई देते हुए कहा कि बालू के उठाव और व्यापार पर कोई रोक नहीं है। उनका कहना है कि पांड्रा बेजरा घाट पूरी तरह वैध है और वहां से बालू की ढुलाई जारी है। चालान और बालू की उपलब्धता में कोई समस्या नहीं है। बंगाल से बालू मंगवाने की जरूरत क्यों पड़े जब जिले में ही पर्याप्त बालू और चालान मौजूद हैं, उन्होंने यह तर्क दिया।