विशेष बच्चों के लिये शिक्षकों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, राज्यों को तीन हफ्ते में कार्रवाई का निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड समेत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को विशेष बच्चों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति करने का स्पष्ट निर्देश दिया है। न्यायमूर्ति सुधांशु धुलिया और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने 'रजनीश कुमार पांडेय बनाम भारत सरकार' मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश जारी किया। इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
विशेष बच्चों के लिए अलग से शिक्षकों की जरूरत
गौरतलब है कि आंशिक या पूर्ण रूप से नि:शक्त बच्चों को विशेष बच्चे कहा जाता है, जिन्हें पढ़ाई के दौरान अतिरिक्त देखभाल और मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। इन्हीं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी।

कोर्ट ने पहले भी वर्ष 2021 में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे विशेष बच्चों के लिए अलग से शिक्षकों की नियुक्ति करें। लेकिन बार-बार निर्देश देने के बावजूद अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। इस पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश तीन सप्ताह के भीतर शिक्षकों के पदों का सृजन कर अधिसूचना जारी करें।
सरकारों को क्या करना होगा?
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि सरकारें दो समाचार पत्रों और अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर नियुक्ति संबंधी विज्ञापन जारी करें। साथ ही, नियमों के अनुसार नियुक्ति समिति गठित कर शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया पूरी करें।
झारखंड में विशेष बच्चों की स्थिति
झारखंड सरकार ने अदालत को जानकारी दी कि राज्य में कुल 45,598 विशेष बच्चे हैं। इनके लिए प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक और छात्र का अनुपात 1:10 और मिडिल स्कूलों में 1:15 तय किया गया है।